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________________ २३२ यंत्रोपासना और जैनधर्म ३१-रुक्मपात्रांकिक्तीर्थ-मण्डल यंत्र ३२-रुक्मपात्रांकित-वरुण मंडल यंत्र लवणोदकालोद तादाविद सातो देवस्थाने माग स्थाने मागधा महादेव मैत्यालये । चैत्य त्यालपेर/ वस्थाने सीताविध्य /. स्वाहा चैत्यालयमा Yऊँही अर्हर (पीपरब्राह्मणेऽनन्त नन्तज्ञानशक्तये / सातासी वादिता परमाने सालपम्प स्वाहा प m/Arrahar तोदा-सरव्या Nदेवस्थाने गंझदि. RECE Sarahinet ne • ___३४ वर्दमान यंत्र ॐणाभयवदो मौदारिकगरीसिया काय स्वाहा ति-विधायकाय पर शिरस्थिाय शाति , हाँ बडेमानाया ३३ - रुक्मपात्रांकित वजमंडल यंत्र मेरमख 0 वामाबध्दमानार दि-वाद-सम्पति वर्दमानाय समायरल माहास्वाहा मानदवायरस मानायवर्दयो राशिदो मयब एem स्वाहा सारसहस्स. पधन पर साहा gay वर्दया शपमहा ही जीवसत्ताण अKिA 265८णla स्वाहा नमः सिध्दाय । मानायब जमनट महास्वाहा 618 कर स्वाहा अबष्क जलत - साहा आचायाय मोडणवा सम्बनी म 29IANE CRIMPP गच्छद अयास MER: RAhimdibay Napaan 'जैनेन्द्रसिद्धान्तकोश से साभार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001796
Book TitleJain Dharma aur Tantrik Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1997
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Occult
File Size25 MB
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