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________________ २३१ जैनधर्म और तांत्रिक साधना २८-रत्नत्रय चक्र यंत्र 88 *ही ईपमितये नमः भावा समितपय Jी उपधा पिाहतायनय. सिमितये नमः 1. परित्याग-1 महातापनमः कालाध्ययनः ॐहीं पवित्राय नमः 18पर्या महाप्रताय नया ॐही पाना. m R वनय L33 अपराष्पा पापनमः सपनाय नमः झा- पाँचभित कर Tदा प्रादारनिसे. प्रभावाय नमः अपनमः। विग्यसाम्ध. नष. नि- ॐहीं अौर्य मावृतायय// यफ//AM. विमास्ता. पिनमः Labels बारसम्पा. उपध्दापनमा ॐगुषायनित पमितये नमः नम सायनमः प्रतिका का. chanA00 पायनमः बमा. / - Mumtaal d / -tual पात्रताय नमः न्यमुन. + प . जनाएर Lems 25 137 गायन56 Dian LARKON ३०.रत्नत्रय-विधान यंत्र हीजहितामा नमः बापमहा-अ.ी. प्रताया रब्युत्सर्ग-1 ल्यनमः। द्रवाय कवनानाथ म महद्रताया ही के वहीशकामला दानावित पता रहितार ततायनमः। समित्येममः अप्रभावना. मलरहिताय/ज नमः अधीर्य मलकी पर्ययशानायर वात्सम्यम सयर - हाएपणा. रहितायन सम्यहमति रायनमः महानता समितये नमः सहकाशामल त्यनमः35 करण-अवि. पायनमः। रायनमः मिल निशानाय नमः । ना नमः। लताय/ . सामवयनमा। मायरवाल नमा चिकित्सा सनुपगृहन्मजात SAIDARBH अन्यगवधिनाथ असमसअनुप जयराट h प्रचा SADHE - RADITSL मेलमिटडोर "जैनेन्द्रसिद्धान्तकोश से साभार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001796
Book TitleJain Dharma aur Tantrik Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1997
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Occult
File Size25 MB
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