________________
२२०
यन्त्रोपासना और जैनधर्म सुरेन्द्रचक्रयन्त्र (४७) और स्तम्भन यंत्र (४८) मुख्य हैं। इनके अतिरिक्त तीर्थमण्डल यन्त्र और जलाधिवासन यन्त्र ऐसे यन्त्र हैं जिनमें क्रमशः तीर्थों और नदियों के निर्देश हैं।
जैनेन्द्रसिद्धान्तकोश में संगृहीत ४८ यन्त्रों में मात्र एक यन्त्र णमोक्कार यन्त्र (१७) ही ऐसा यन्त्र है जो संख्याओं के आधार पर निर्मित किया गया है। शेष सभी यन्त्र बीजाक्षरो, मातृकापदों एवं मन्त्रों के आधार पर निर्मित हैं। इनमें जो आकृतिगत विशेषताएं हैं उन्हें इन यन्त्र-चित्रों के आधार पर सहज ही समझा जा सकता है। अतः प्रस्तुत प्रसंग में न तो हम उनकी आकृतिगत विशेषताओं की चर्चा करेंगे और न इनको सिद्ध करने की विधि एवं इनके सिद्ध होने पर मिलने वाले फलों की चर्चा करेंगे, क्योंकि यहां हमारा मूल उद्देश्य जैनपरम्परा में तान्त्रिक साधनाओं के ऐतिहासिक विकासक्रम का तुलनात्मक अध्ययन करना है। जैनेन्द्रसिद्धान्तकोश में वर्णित यन्त्रों के चित्र अग्रिम पृष्ठों पर दिये जा रहे हैं
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org