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जैनधर्म और तांत्रिक साधना
स नि गि तो दि स्वाहा
प्रातिं कुरु कुरु स्वाहा
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श्री. पार्श्व नाथ अनाहत
यंत्र नं-२३.
दुग्गै महायुग्गै से पासे समास
आरोग्यता
ॐ ह्रीं श्री धारणेन्द्र ॐ णमो भगवदो अरहदो
पद्मावति , सहित पार्श्वनाथाय मम || उरगकुल बासु पासु सिझधम्मे भगवदो विझर
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अ.
मदिवीर सिरिसणमदिवीर जयता अपराजिते स्वाहा
कुरु कुरु वषट्
श्री महावीर अनाहत
यंत्र नं-२४ इसिज्झधम्मै भगवदो महाविज्म महाविज्झ वीर | युद्धक्षेत्रे आगत शत्रु मम अधीनस्थं ।
क्षि
।
ॐ ॐ हा श्री महावीराय मातङ्ग
णमोभगवदो अरहदो
सेद्धायनी यक्षि सहिताय मम
महतिमहावीर वड्ट माणबुद्धस्स अणाहतविज्झा
"मङ्गलम से साभार
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