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जैनधर्म और तांत्रिक साधना
भक्तामर सम्बन्धी-यन्त्र जैन परम्परा में तान्त्रिक साधना की दृष्टि से भक्तामर और कल्याण मंदिर स्तोत्रों का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान है, यह हम पूर्व में निर्देशित कर चुके हैं। जैन आचार्यों ने भक्तामर के प्रत्येक श्लोक के ऋद्धि, मन्त्र, यन्त्र, साधना पद्धति और फल का उल्लेख किया है। भक्तामर से सम्बन्धित ये मन्त्र और यन्त्र अनेक स्थानों से प्रकाशित हुए हैं। सन्मतिज्ञानपीठ, आगरा से जो नमस्कार मन्त्र का चित्र प्रकाशित हुआ है, उसमें भक्तामर के सभी यन्त्रों को मुद्रित किया गया है। इसी प्रकार 'तीर्थंकर' वर्ष ११, अंक ६, जनवरी १६८२ के भक्तामर विशेषांक में भी भक्तामर के मन्त्र और यन्त्रों का प्रकाशन हुआ है। पंडित राजेश दीक्षित ने जैन तंत्रशास्त्र नामक अपनी कृति (१९८४) में भी भक्तामर के इन मन्त्रों और यन्त्रों का उल्लेख किया है। इन सभी ने मन्त्र और यन्त्रों का ग्रहण प्राचीन हस्तप्रतों के आधार पर किया है। प्रस्तुत संकलन में हम तीर्थंकर (संपादक- डॉ० नेमिचन्द जैन) के आधार पर भक्तामर के मन्त्र और यन्त्रों को प्रस्तुत कर रहे हैं। इनके साधना विधान 'जैन तन्त्रशास्त्र' में सविस्तार दिये गये हैं, इच्छुक व्यक्ति उन्हें वहाँ देख सकते हैं।
(मंत्र और यन्त्र अगले पृष्ठ पर)
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