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________________ १५३ मंत्र साधना और जैनधर्म यक्षिणियों एवं २४ यक्षों, नवग्रह, दिकपाल, क्षेत्रपाल आदि को देवमंडल में सम्मिलित कर लिया गया तो इनसे संम्बन्धित मंत्रों की भी रचनाएँ हुईं, जो पूरी तरह अन्य तान्त्रिक साधना पद्धतियों से प्रभावित हैं। जहां तक पंचपरमेष्ठि, २४ तीर्थंकर और लब्धिधारियों से संबन्धित मंत्रों का प्रश्न है वे मुख्यतया प्राकृत में रचे गए हैं। मात्र बीजाक्षरों अथवा फट्, स्वाहा आदि के रूप में ही उनके साथ संस्कृत शब्दों की योजना की गयी। विद्यादेवियों, यक्षों, यक्षिणियों (शासनदेवियों) से सम्बन्धित जो मंत्र निर्मित हुए हैं वे मुख्यतः संस्कृत भाषा में रचित हैं यद्यपि इनसे सम्बन्धित कुछ मंत्र प्राकृत में भी मिलते हैं। वस्तुतः यक्ष-यक्षी, दिक्पाल, क्षेत्रपाल (भैरव) नवग्रह, नक्षत्र आदि की अवधारणाओं का जैन परम्परा में अन्य परम्पराओं से संग्रह किया गया। उसके परिणाम स्वरूप तत्संबन्धी मंत्र भी अन्य परम्पराओं से आंशिक परिवर्तनों के साथ गृहीत कर लिए गए। पुनः इन देव-देवियों सम्बन्धी जो भी मंत्र बने उनमें लैकिक उपलब्धियों की ही कामना अधिक रही। यहाँ तक कि मारण, मोहन, उच्चाटन आदि षट्कर्मों से सम्बन्धित मंत्र भी जैन परम्परा में मान्य हो गये जो उसकी निवृत्तिमार्गी अहिंसक परम्परा के विपरीत थे। इस प्रकार हम देखते हैं कि मन्त्र साधना के क्षेत्र में जैनों पर अन्य परम्पराओं का प्रभाव है। विशेष रूप से षट्कर्म सम्बन्धी मन्त्रों में तो उन्होंने अविवेकपूर्वक अन्य परम्पराओं का अन्धानुकरण किया है किन्तु अनेक प्रसंगों में उन्होंने स्वविवेक का परिचय ही दिया है और अपनी परम्परा के अनुरूप मंत्रों की रचना की ताकि सामान्यजन की श्रद्धा को जैनधर्म में स्थित रखा जा सके और जैन परम्परा की मूलभूत जीवन दृष्टि को भी सुरक्षित रखा जा सके। मंत्राक्षरों का बीज कोश १. ऊँ - प्रणव बीज, ध्रुवबीज, विनय प्रदीप तथा तेजोबीज वाग्बीज एवं तत्त्वबीज ३. क्लीं कामबीज ४. हसौं, ह्सों - शक्ति बीज शिवबीज तथा शासन बीज ६. क्षि पृथ्वी बीज अपबीज तेजोबीज वायुबीज १०. हा आकाश बीज ११. ही मायाबीज एवं त्रैलोक्यनाथ बीज १२. क्रॉ अंकुशबीज एवं निरोधबीज bhai __ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001796
Book TitleJain Dharma aur Tantrik Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1997
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Occult
File Size25 MB
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