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१३२ जैनधर्म और तान्त्रिक साधना ३१. णमो घोरगुणाणं परक्कमाणं-इसके जप से हिंसक पशुओं का भय दूर होता
३२. णमो घोरगुणब्रह्मचारीणं- इसके जप से ब्रह्मराक्षसों का नाश होता है। ३३. णमो आमोसहिपत्ताणं- इसके जप से समग्र देवों का अपहरण होता है। ३४. णमो जल्लोसहिपत्ताणं-इसके जप से महामारी का तिरस्कार और चित्त
की व्याकुलता का नाश होता हैं ३५. णमो विप्पोसहिपत्ताणं-इसके जप से हाथी का महामारी रोग शान्त होता
हैं। ३६. णमो सव्वोसहिपत्ताणं-इसके जप से मनुष्यों का महामारी रोग नाश को प्राप्त
होता हैं ३७. णमो मणबलीणं-इसके जप से अश्व का महामारी रोग शान्त होता है। ३८. णमो वचोबलीणं-इसके जप से बकरियों का महामारी रोग शान्त होता है। ३६. णमो कायबलीणं-इसके जप से गाय का महामारी रोग शान्त होता है। ४०. णमो अमीयासवीणं-इसके जप से समग्र उपद्रव शान्त होते हैं। ४१. णमो सप्पिसवीणं- इसके जप से एक दिन के अन्तर से, दो दिन के अंतर
से, तीन दिन के अंतर से, चार दिन के अंतर से, पन्द्रह दिन के अंतर से, महीने अथवा वर्ष के अंतर से आने वाले मियादी ज्वर इत्यादि का सम्पूर्ण
ताप नाश होता है। ४२. णमो रवीरासवीणं-इस मंत्र से गोदुग्ध अभिमन्त्रित कर चौबीस दिन तक
पीए तो क्षय, खाँसी, गंडमाला आदि रोगों का नाश होता है। ४३. णमो अक्रवीणमहाणसं-इसके जप से आकर्षण होता है। ४४. णमो लोए सव्वसिद्धायदयाणं- इसके जप से राजपुरुष आदि वश में होते
४५. ॐ नमो भगवदो महई महावीर वड्डमाण बुद्धिरिसीणं-इसके जप से चित्त ___ को शान्ति प्राप्त होती है।
श्री मानदेवसूरिकृतसूरिमंत्रस्तोत्रम् । रागाइरिउजईणं, नमो जिणाणं नमो महजिणाणं एवं ओहिजिणाणं, परमोहीणं तहा तेसिं।१। एवमणंतोहीणं, णताणतोहि-जुअ-जिणाणं
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