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मंत्र साधना और जैनधर्म १४. णमो विउलमईणं-इसके जप से बहुमुखी प्रतिभा प्राप्त होती है। इसकी
साधना करते समय मीठा और खटाश-रहित भोजन करना चाहिए । १५. णमो चउदसपुवीणं-इसके जप से समग्र अंगश्रुत का जानकार होता है। १६. णमो चउदसपुव्वीणं-इसका १०८ बार जप करने से अपने एवं दूसरों के
सिद्धान्तों का जानने वाला होता है १७. णमो अटुंगनिमित्तकुसलाणं-इसके जप से जीवन-मरण का काल जाना जा
सकता है। १८. णमो विउव्वणलद्धिपत्ताणं-इसके जप से मनोभिलषित पदार्थ प्राप्त होते हैं।
इसका २८ दिन तक जप करना चाहिए। १६. णमो विज्जाहराणं-इसके जप से ऊँचे एवं दूरदेश तक आकाश में जाया
जा सकता है २०. णमो चारणाणं-इसके जप से प्रश्नकर्ता की मुट्ठी में बंद अभिलषित विषय
को जाना जा सकता है। २१. णमो पण्हसमणाणं-इसके जप से आयु का अन्त जाना जा सकता है। २२. णमो आकासगामीणं-इसके जप से आकश में १ योजन तक (दूसरे को) भेजा
जा सकता है २३. णमो आसीविसाणं-इसके जप से द्वेष का नाश होता है। वह पार्श्वनाथ के
अष्टक मंत्र से होता है। २४. णमो दिट्ठिविसाणं-इसके जप से स्थावर और जंगम ऐसे कृत्रिम विष का
नाश होता है। २५. णमो उग्गतवाणं-इसके जप से वाणी का स्तम्भन होता है। २६. णमो दित्ततवाणं-इसका रविवार से लेकर तीन दिन तक मध्याह में जप करने
से शत्रु पक्ष की सेना को स्तम्भित किया जा सकता है। २७. नमो तत्ततवाणं-इसके जप से अभिमन्त्रित जल के द्वारा अग्नि का स्तम्भन
किया जा सकता है। २८. णमो महातवाणं- इसके जप से पानी की बाढ को रोका जा सकता है। २६. णमो घोरतवाणं-इसके जप से सर्प के विष, एवं अन्य विषों का शमन किया
जा सकता है। ३०. णमो घोरगुणाणं-इसके जप से सफेद कोढ़ और गर्भ की पीड़ा आदि का ___ नाश होता है।
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