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मंत्र साधना और जैनधर्म २३. णमो दित्ततवाणं। २४. णमो तत्ततवाणं। २५. णमो महातवाणं। २६. णमो घोरतवाणं। २७. णमो घोरपरक्कमाणं। २८. णमो घोरगुणाणं। २६. णमो घोरगुणबंभचारीणं। ३०. णमोआमोसहिपत्ताणं। ३१. णमो खेलोसहिपत्ताणं। ३२. णमो जल्लोसहिपत्ताणं। ३३. णमो विट्ठोसहिपत्ताणं। ३४. णमो सव्वोसहिपत्ताणं। ३५. णमो मणबलीणं। ३६. णमो वचबलीणं। ३७. णमो कायबलीणं। ३८. णमो खीरसवीणं। ३६. णमो सप्पिसवीणं। ४०. णमो महुसवीणं। ४१. णमो अमडसवीणं। ४२. णमो अक्खीणमहाणसाणं। ४३. णमो लोए सव्वसिद्धायदणाणं । ४४. णमो वद्धमाणबुद्धरिसिस्स। - षटखण्डागम चउत्थेखण्डे वेयणामहाघियारे कदिअणियोगद्दारं
जहाँ तक श्वेताम्बर और दिगम्बर परम्पराओं में उपलब्ध इन लब्धि पदों के तुलनात्मक अध्ययन का प्रश्न है मात्र हमें दो चार नाम आदि में ही अन्तर प्रतीत होता है। जहाँ सूरिमंत्र के पाँचवें पद में अनन्तान्तोओहिजिणाणं पाठ है वहाँ षट्खण्डागम में चतुर्थ पद में उसके स्थान पर सव्वोओहिजिणाणं पाठ है। सूरिमंत्र के दसवें पद में नमो फ्तेयबुद्धाणं, ११ वें पद में नमो सयंसंबुद्धाणं पाठ का उल्लेख है किन्तु ये दोनों पाठ षट्खण्डागम में नहीं मिलते हैं। कुछ स्थलों पर पाठ भेद भी है। जैसे जहाँ सूरिमंत्र में विप्पोव्सहि है वहाँ षट्खण्डागम में
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