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पार्श्वनाथ विद्यापीठ ग्रन्थमाला संख्या-९४
जैनधर्म और तान्त्रिक साधना
डॉ० सागरमल जैन
*हीं अहिंसा महा-
*हीं सत्यमहा
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व्रताय नमः
त्यमहा-
व्रतायनमः
ही व्युटसर्ग./ समित्यनमा
केवलज्ञानाय नम
नमः
ॐ ह्रीं केव
ॐहीं शंका
रहितायनमः
कामल-ॐहीं
अभी
1ॐहाँ आदाननिक्षेपण
समितये नमः ।
1ॐही अप्रभावना.
मलराहतारा
नमः
अज्ञानाय नमः
महावताय नमः
दशनाथन
ॐहीं सम्यडमा
हीअवात्सल्स मलराहताय नमः
ॐहीं सम्य
समिवये नमः
ॐ हीं मनःपर्ययन
परित्राय नमः
रहितायनमः
*कांक्षामल-ॐ
१. मतिज्ञानाय नमः
महाव्रताय नमः
ड. 3हा ब्रह्मचर्य.
मलयहवाय /ॐ.
नमः
नमः
मलराहतार
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अन्य समितये नमः
जानाय नमः
न-ऊहास्थिति
नमः जहाँ सय
हिताय मल
महाखवायनमः
*विचाकताही
नाय नमः
नमः
भलराहवार्य ॐहीअनुपगृहन/
नमः
मलयहताय
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नमः *अपारहामनोग
ॐहा सम्यगवधि
त्यष्टिप्रशसा ॐ
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नमः
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पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी-५
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