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________________ [२४९ प्र.५ प्रश्रपत्र प्र.३ घातियां कर्मोकी, तथा ३-६-१०-१४ वें स्वर्गमें रहनेवाले देवों की जघन्योत्कृष्ट स्थिति लिखकर वैमानिक देवोंमें हीनामित्रताके कारण ससत्र लिखो। प्र.४- अचौर्याणुव्रतकी भावनाएँ व अनर्थदण्डव्रत के अतिचार लिखकर, परमाणुओंमें बन्ध होने के कौन कौन कारण हैं सप्रमाण लिखिये। किसी एक विषय पर दो पेजका निबंध लिखिये। सात तत्व अथवा सम्यक्चारित्र। अथवा जैन सिद्धान्त प्रवेशिका प्र.१ मलयाचरण का अर्थ लिखकर, द्वीन्द्रिय व असंज्ञी पंचेन्द्रिय जीवके कितने कितने व कौन कौन शरीर, पर्याप्ति व प्राण होते हैं लिखो। प्र.२- कर्म किसे कहते हैं, वे कितने व कौन कौन हैं, उन सबकी जघन्योत्कृष्ट स्थिति लिखकर सागर व अर्द्धपल्य की परिभाषा समझाओ। किन्ही ८ शब्दोंके स्वरुप लिखिये। अनात्ममृत लक्षण, आगम प्रमाण, अस्तित्वगुण, अन्यात्याभाष, अवाय, अर्धनाराच संहनन, अपकर्षण, अविरत, आभ्यान्तर निर्वृति, अप्रतिष्ठित, प्रत्येक। प्र.४- निम्नलिखित प्रश्रोंके उत्तर दीजिये। (१) तीर्थंकर पदवीधारी पुरुष कहां२ जन्म लेते हैं ? (२) अस्थिकाय कौन कौन द्रव्य हैं व क्यों हैं ? (३) आकाशमें गमन करना, रेलगाड़ीमें बैठना, कमरे में स्थान मिलना, इनमें किन-किन द्रव्योंकी सहायता मिलती है, स्पष्ट लिखो। नित्यपर्याप्तक व लब्ध्यपर्याप्तक जीव कब और क्यों होते हैं? उदाहरण देकर लिखो। (५) कल्पातीत किसके भेद हैं। खुलासा लिखो। प्र.३ (४) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001795
Book TitleMokshshastra
Original Sutra AuthorUmaswati, Umaswami
AuthorPannalal Jain
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages302
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Tattvartha Sutra, P000, P005, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size12 MB
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