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________________ दानवीर माणिकचन्द दि. जैन ( समय ३ घण्टे ) मोक्षशास्त्र प्र. १ - प्र. २ प्र. ३ प्रश्नपत्र प्रश्नपत्र निम्नलिखित ५ सूत्रोंका स्पष्ट अर्थ लिखिये । १- तदिन्द्रियानिन्द्रियनिमित्तम् । २ - ताभ्यामपरा भूमयोऽवस्थिताः । ३- तदभावाव्ययं नित्यम् । परीक्षालय - बम्बई ( पूर्णांक १०० ) [२४७ Jain Education International ४- तद्विपर्ययो नीचैर्वृत्यनुत्सेकौ चोत्तरस्य । ५- तदविरतदेशविरतप्रमत्तसंयतानाम् । ६- तदनन्तरमूर्ध्व गच्छत्यालोकान्तात् । निम्नलिखित में से १० शब्दों की परिभाषा समझाकर २० लिखिये । अभिनिबोध, अनिःसृत, आहारक शरीर, अभियोग, आसादन, अपायावद्यदर्शनम्, अपरिगृहीतेत्वरिका गमन, अप्रत्याख्यानावरण, अदर्शन, आम्नाय, अपायविचय । ४, ७, ११, १३ वें स्वर्गो में रहनेवाले देवोंकी २० जघन्योत्कृष्ट स्थिति लिखकर, तुम्हारे भाव जन्म शरीर, संस्थान व संहनन, कितने २ कौन कौन होते हैं स्पष्ट समझाकर लिखिये । प्र. ४ किन्ही ५ के उत्तर समझाकर लिखिये । १- अनाहारकका लक्षण लिखें, जाब अनाहारक कबतक क्यों रहता है लिखें । २- देवोंमें प्रवीचार कहांतक कैसे २ सम्भव है ? व कहां तक सम्भव नहीं हैं। ३ - रौद्रध्यान का लक्षण लिखें, इसके स्वामी कौन हैं? २० For Private & Personal Use Only २० www.jainelibrary.org
SR No.001795
Book TitleMokshshastra
Original Sutra AuthorUmaswati, Umaswami
AuthorPannalal Jain
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages302
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Tattvartha Sutra, P000, P005, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size12 MB
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