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शंका समाधान
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[ २८ ] शंका- मूर्ति और आकारमें क्या भेद है?
[ २८ ] समाधान-रूप रसादिको मूर्ति कहते है और वस्तुके स्वरूपको आकार कहते है। पुदगल द्रव्य मूर्ति भी है और साकार भी । अन्य द्रव्य साकार तो है किन्तु मूर्त नहीं । आकारका अर्थ संस्थान भी है किन्तु यह अर्थ यहां विवक्षित नहीं ।
[२९] शंका - वर्तना और परिणामोमें क्या अन्तर है ?
[२९] समाधान-बदल करानेको बर्तना कहते हैं। जैसे धर्मादिक द्रव्य पूर्व पर्यायका त्याग करके नवीन पर्यायकी उत्पत्तिके प्रति यद्यपि स्वयं व्यापार करते हैं परन्तु उनका यह व्यापार बाह्य निमित्तके बिना नहीं बनता अतः उसमें बदल कराना काल का कार्य है । इस प्रकार यहां वर्तनाका स्वरुप बदल कराना प्राप्त होता हैं, जो कालका मुख्य धर्म है और परिणाम द्रव्यकी उस अवस्थाको कहते है जो एक अवस्थाका त्याग करके दूसरी अवस्था रूप हो जाती है और हलचल क्रियासे रहित हैं। तात्पर्य यह हैं कि बर्तना कारण है और परिणाम कार्य। बर्तना कालद्रव्यका स्वभाव है और परिणाम प्रत्येक द्रव्यकी प्रति समय होनेवाली पर्याय । इस प्रकार इन दोनोंमें अन्तर है।
[३०] शंका- परमाणुका क्या स्वरुप है ?
[३०] समाधान - जिसका आदि, अन्त और मध्य यह कुछ भी नहीं, जिसे इन्द्रियोंसे ग्रहण नहीं किया जा सकता और जो अप्रदेशी है अर्थात् एक प्रदेशको छोड़कर जिसके द्वितीयादिक प्रदेश नहीं पाये जाते उसे परमाणु कहते है । यह द्रव्यार्थिक नयकी अपेक्षा परमाणुका स्वरूप बतलाया है। किन्तु पर्यायार्थिक नयकी अपेक्षा विचार करने पर तो परमाणुका भी आदि मध्य और अन्त प्राप्त होता है तो भी उनका विभाग नहीं किया जा सकता इसलिए उनके
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