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________________ ६८] मोक्षशास्त्र सटीक भवनवासियों के दश भेदभवनवासिनोऽसुरनागविद्युत्सुपर्णाग्नि वातस्तनितोदधिद्वीपदिक्कुमाराः ॥१०॥ ___ अर्थ- भवनवासी देवोंके असुरकुमार, नागकुमार, विद्युतकुमार, सुपर्णकुमार, अग्निकुमार वातकुमार, स्तनितकुमार, उदधिकुमार, द्वीपकुमार और दिक्कुमार ये दश भेद हैं।' ___व्यन्तर देवोंके आठ भेदव्यन्तराः किन्नरकिंपुरूषमहोरगगन्धर्व यक्षराक्षसभूतपिशाचाः ॥११॥ अर्थ-व्यन्तरदेव-किन्नर, किम्पुरूष, महोरग, गन्धर्व, यक्ष राक्षस, भूत और पिशाच इस प्रकार आठ तरहके भेद होते हैं। ज्योतिष्क देवोंके पाँच भेदज्योतिष्काः सूर्याचन्द्रमसौ ग्रहनक्षत्रप्रकीर्ण कतारकाश्च ॥१२॥ अर्थ- ज्योतिष्क देव-सूर्य, चन्द्रमा, ग्रह, नक्षत्र और प्रकीर्णक तारोंके भेद से पाँच प्रकार के हैं। नोट- ज्योतिष्कदेवोंका निवास मध्यलोकके समधरातलसे ७९० योजनकी ऊँचाईसे लेकर ९०० योजनकी ऊँचाई तक आकाशमें है। १२ । ज्योतिष्कदेवोंका विशेष वर्णनमेरूप्रदक्षिणा नित्यगतयो नृलोके ।१३। 2. असुरकुमार को छोड़कर ९ प्रकारके भवनवासी देव और राक्षसको छोड़कर ७ प्रकारक व्यन्तर देव रत्नप्रभा पृथ्वीके उपरके खर भागमें रहते हैं तथा असुरकुमार और राक्षस उसी पृथ्वीके पंक भागमें रहते है. इसके सिवाय व्यन्तर देवांका मध्यलोकमें भी कई जगह निवास है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001795
Book TitleMokshshastra
Original Sutra AuthorUmaswati, Umaswami
AuthorPannalal Jain
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages302
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Tattvartha Sutra, P000, P005, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size12 MB
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