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________________ Appendix 619 ही उन्होंने नवपद सिद्धचक्र का गट्टाजी और जैन मूर्तियों के फोटो आदि मेरे सामने रख दिये और कहा कि मैं भी इनका नित्य दर्शन करती हूँ, अब तो आप इनका दर्शन करके दूध-फल आदि कुछ तो लीजिए। फिर कुछ समय तक तो हमारा सम्बन्ध पत्र-व्यवहार आदि द्वारा ही बना रहा। फिर उनका मेरे पत्रों का उत्तर नहीं आने से मुझे भी पत्र देना बन्द करना पड़ा। एक बार और भी उनसे मिलना हुआ, ऐसा स्मरण है। डॉ. क्राउज़े सम्बन्धी मेरा लेख बहुत वर्ष पूर्व जैनजगत में प्रकाशित हो चुका है एवं उनके लेखों की सूची मेरे पास सुरक्षित है। कुछ वर्ष बाद ग्वालियर जाने पर मालूम हुआ कि वे चर्च में चली गयीं हैं एवं अस्वस्थ हैं। जैन-समाज की उपेक्षा से वे बहुत ही खिन्न हैं। एक सूरजमल जी धाड़ीवाल ही उनकी समय-समय पर सुधि लेते हैं। यह जानकर साधर्मी के सेवा की भावना की हममें कितनी कमी हो गई है, बड़ा दुःख हुआ। पूना में जो उन्होंने अपना ग्रन्थ-संग्रह भेज दिया है, उसमें से जैन सम्बन्धी सामग्री का उपयोग वहाँ के जैन समाज एवं विश्वविद्यालय के जैन विभाग को जरूर करना चाहिए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001785
Book TitleCharlotte Krause her Life and Literature
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages674
LanguageEnglish, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_English, Biography, & Articles
File Size11 MB
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