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Dr. Charlotte Krause : Her Life & Literature
सुजण-मण-नयण-आणन्द-सम्पूरकं
दुरित-हरतार तारक मुणी-नायकं । सयल-जग-जन्तु-भव-पाप-तापापहं
नमउं सीमन्धरं चन्द-सोहावहं ।। 6 ।। सुर-भवणि गयणि पायालि भूमण्डले
नयरि पुरि नीरनिहि मेरु-पव्वय-कुले । देव-देवी-गणा नारि-नर-किन्नरा
तुह्य जस नाह गायन्ति सादर-परा ।। 7 ।। नाण-गुणि झाण-गुणि चरण-गुणि मोहिया
सार-उवयार-सम्भार-संसोहिआ । रयणि दिणि हरिस-वसि सुत्त जागरमणा
तात तुह नाम झायन्ति तिहुयण-जणा ।। 8 ।। सिद्धिकर रिद्धिकर बुद्धिकर सङ्करा
विषय-विष-अमिय-भर सामि सीमन्धरा । पुव्व-भव-विहिअ-वर-पुन-वय-पामिआ
राषि हिव भूरि-भव-भमण मू सामिआ ।। १ ।। कम्म-भर-भार-संसार-अइभग्गउ
घणउं फिरिऊण जिण पाय तुह लग्गउ । मज्झ हीणस्स दीणस्स सिव गामिया
करवि करुणा-रसं सार करि सामिआ ।। 10 ।। कठिण हठ घाय तिरियत्तणे ताजिउ
__नरय-गइ करुण विलवन्त नहु लाजिउ । मणुअ-गइ हीण पर-कम्म-वसि पडियउ
__ लागि तुह चरणि आणन्दि हव चडियउ ।। 11 ।। केवि तुह दंसणे देव सिव साहगा
केवि वाणी सुणी चरणि भव-मोअगा । भरह-खित्तमि हठं झाणि छउं लग्गउ
देहि आलम्बणं नाह जइ जुग्गउ ।। 12 ।। धन्न ते नयर जहिं सामि सीमन्धरो
विहरए भविअ-जण-सव्व-संसयहरो ।
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