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________________ Kamika Śankheśvara Sahitya पाया रे ।। ६ ।। सहर प्रतापगढ मांहे आप विराज्या रे, जग पसर्यो जस वास, बाजा बाज्यारे । परच्या पूरे पास, सहु मन भाया रे, आवे संघ उमाह, तुझने त्रेवीसमा जिन-राय, अरज सुणीजे रे, मुज मनडानी आस सफल करीज्ये रे । पास प्रभूनी सेव जे नर करस्ये रे, कहे उत्तम, नर तेह मंगल वरस्ये रे ।। ७ ।। (३) संखेसर स्तवन' मंदिर वर्णन गर्भित श्रीउत्तमकृत (सं. १८४९ ) सरसती, करो सुपसाय, नमुं आनंदे रे, प्रभुना गुण गातांह, पाप निकंदे रे । Jain Education International सुंदर सूरत एह संखेसरनी रे, चोमुष प्रतिमा च्यार आदीसरनी रे ।। १ ।। पंच मेरुने भाव पूजा करीई रे, चोमुष ए पूजंत चिहुं गति हरी रे । समवसरण के मांहे आप विराज्या रे, चमुष टाली मर्म, धर्म प्रकासे रे ।। २ ।। बली ऋषभानन देव, चंद्राननजी रे, वारिषेण, वर्द्धमान, नंदीसरजी रे । फिर चोमुष वंदंत, पंच वेलां करी रे, मानु वीसे वेहरमांन प्रणम्या हित धरी रे ।। ३ ॥ अतीतानागत वर्त्तमान जिन आनंदो रे, गणधर गोतम सांम, पुंडरीक वंदो रे । तपगच्छ धर्मसूरिंद चरण नगीना रे, पगल्या वरतरगच्छ दादाजीना रे ।। ४ ।। दादा दोलित देव करे गहगाटे रे, सेवकने द्ये सुख वाटे घाटे रे I ठाम ठामनो संघ आवी वंदे रे, लहे सुष संपति कोड जननां वृंदे रे ।। ५ ।। For Private & Personal Use Only 301 www.jainelibrary.org
SR No.001785
Book TitleCharlotte Krause her Life and Literature
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages674
LanguageEnglish, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_English, Biography, & Articles
File Size11 MB
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