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________________ 250 Dr. Charlotte Krause : Her Life & Literature (5) कुडंगेश्वर महादेव उपर्युक्त प्रमाणों के अनुसार जिस कुडंगेश्वर महादेव के मन्दिर में से यह कुडंगेश्वर जैन-तीर्थ उत्पन्न हुआ और जिस कुडंगेश्वर महादेव के नाम से 'कुडंगेश्वर ऋषभदेव' या हमारी कल्पना के अनुसार 'कुडंगेश्वर पार्श्वनाथ' नाम पड़ा, वह देव कौन था, यह ज्ञात हो जाने पर प्रस्तुत विषय पर कदाचित् प्रकाश पड़ेगा। ऐसी आशा से अब इस नाम का कुछ निरीक्षण करना उचित होगा। _ 'कुडंगेश्वर' या "कुडुंगेश्वर' एक संस्कृत समास है, जिसका पूर्व भाग ('कुडंग' या 'कुडुंग') 'अमरकोश' और अन्य संस्कृत कोशों में 'कुडंग' रूप में पाया जाता है। अर्थात् वही रूप ( न कि कुडुंग ) समीचीन है। 'कुडंग' वास्तव में एक प्राकृत शब्द है जिसको श्री हेमचन्द्राचार्य ने अपने 'देशीनाममाला' में (2,27: एम. बेनरजी द्वारा सम्पादित, कलकत्ता, ई. सन् 1931, भाग 1, पृ. 70 ) देशी शब्दों में गिना और उसका अर्थ 'लतागृह' बताया है। पाइयसद्दमहण्णवो-कोश के अनुसार 'कुडंग' के विविध अर्थान्तरों का समावेश 'लता आदि से ढंका हुआ स्थान', जंगल', 'कुञ्ज' आदि में होता है। इसके अतिरिक्त प्राकृत में 'कुडंगा' और 'कुडंगी' भी विद्यमान हैं, जिनमें से 'कुडंगा' का अर्थ 'लताविशेष' और 'कुडंगी' का अर्थ 'बाँस की जाली' उक्त कोश में बताया जाता है। इन तीन शब्दों में से 'कुडंग' शब्द ही का उपयोग उपर्युक्त समास में, और उसके अतिरिक्त, स्वतन्त्र रूप में भी श्री अवन्तिसुकुमाल के मरण-स्थान के वर्णन में किया गया है। यथा : __ 1. 'बाहि वंसकुडंगे', अर्थात् ‘बाहर बाँस के जंगल में' ( मरणसमाहिपइण्णं' )। 2. 'मसाणे कंथारकुडंगं', अर्थात् 'श्मशान में कंथारों ( एक थोहर विशेष जिसको गुजराती में अभी भी 'कंथारी' कहा जाता है ) का जंगल' ('आवश्यकचूर्णि' और वृत्ति' )। 3. 'कंथारिकुडंगसमीवे', अर्थात् 'कंथारों के जंगल के पास' ( 'दर्शनशुद्धि' )। 4. 'कंथारकुडंगाख्यं श्मशानमेत्य', अर्थात् 'कंथारकुडंग नाम के श्मशान में जाकर' ('प्रबन्ध-कोश' )। इस चौथे उल्लेख से ऐसा प्रतीत होता है कि 'कंथारकुडंग' उज्जैन के इस श्मशान का एक विशेष नाम था। वह स्थान प्राचीन काल में 'कंथारों' से ढंका हुआ था, जिस पर से यह नाम पड़ने का अवसर प्राप्त हो सका था। ऐसे आशय के अन्य उल्लेख भी उपलब्ध हैं जैसे कि 'आवश्यक-कथाओं' का 'कंथारिवन' और 'कुमारपाल-प्रतिबोध' का ( अनुवादित ) 'कंथारीवन की वंसजाली' । यह बात इससे भी सत्य प्रतीत होती है कि ऐसे 'कंथार' नामक थोहर के गहरे जंगल कुछ वर्ष पहले भी उज्जैन के आसपास फैले हुए थे, ऐसा उज्जैन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001785
Book TitleCharlotte Krause her Life and Literature
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages674
LanguageEnglish, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_English, Biography, & Articles
File Size11 MB
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