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________________ 242 Dr. Charlotte Krause : Her Life & Literature सोलहवीं शताब्दी का आरम्भ )। श्री नेमिदत्त की कृति को छोड़कर उक्त साहित्य अनुपलब्ध है। श्री नेमिदत्त के ग्रंथ (जैनमित्र कार्यालय, बम्बई, वीर सं. 2440-42, पृ. 256-269 के श्री सुकुमालमुनेराख्यान' नामक 57वें कथानक में प्रस्तुत वृत्तान्त 142 संस्कृत पद्यों में कथित है। उसके अनुसार मुनि का नाम सुकुमाल, उनकी माता का यशोभद्रा और गुरु का गणधराचार्य है। शेष बहुधा श्री हरिषेण के विवेचन के साथ मिलता है। मृत्यु-स्थान के सम्बन्ध में निम्नलिखित विवरण है : उज्जयिन्यां तवा देवैर्महाकोलाहलः कृतः ।। महाकालः कुतीर्थोऽभूज्जन्तूनां तत्र नाशकृत् ।। 140 ।। गन्धतोयलसद्वृष्टिः कृता देवैः सुभक्तितः ।। तत्र गन्धवती नाम्नी नदी जातेति भूतले ।। 141 ।। अर्थात "उस समय देवों ने उज्जैन में महा-कोलाहल किया। उस स्थान पर 'महाकाल' ( नामक ) जीवहिंसा का निमित्तभूत कुतीर्थ उत्पन्न हुआ ।। 140 ।। ___ भक्तिभाव से देवों ने सुगन्धित जल से सुन्दर वृष्टि कराई। वहाँ गन्धवती नामक नदी पृथिवी पर हुई ।। 141 ।।" ___ दुःख की बात है कि प्रस्तुत वृत्तान्त का न तो दिगम्बरीय और न श्वेताम्बरीय साहित्य ही अभी तक सम्पूर्णतया हस्तगत हो पाया है। इसमें कुछ महत्त्व के प्राचीन साधन जान पड़ते हैं, जैसे कि : 1. भद्रेश्वर कृत 'कथावली', जो बारहवीं शताब्दी में या उससे पहिले रची हुई है और जिसका उपयोग मात्र कुछ अवतरणिकाओं पर से किया जा सका ( देखिए 'अपभ्रंश काव्यत्रयी', गायकवाड़ ओरियण्टल सीरीज नं. 57, श्रीयुत पंडित एल. बी. गांधी की भूमिका, पृ. 74, नोट 1; और 'सन्मतितर्क', पंडित श्री सुखलालजी संघवी और बेचरदासजी की भूमिका, पृ. 18-19 )। 2. 'सुकुमाल-चरित्र' ( देखिए श्रीयुत् बनारसीदास जैन, पंजाब जैन-भंडारों के हस्तलिखित ग्रन्थों की सूची, लाहौर, 1939, पृ. 122, नं. 3005)। 3. 'सिद्धसेन-कथा' ( देखिये पाटण के जैन-भण्डारों के सूचीपत्र, भाग 1, गायकवाड़ ओरियण्टल सीरीज, नं. 76, पृ. 28 )। 4. प्राकृत-बद्ध 'सिद्धसेन-चरित' ( वही, पृ. 194 )। उन सब ग्रन्थों की पूरी साक्षी नहीं दी जा सकी। उपलब्ध साधनों के आधार पर कहा जा सकता है कि श्री अवन्तिसुकुमाल के एक स्मारक-मन्दिर के विद्यमान होने और उसमें से महाकाल मन्दिर के उत्पन्न होने के सम्बन्ध में जो कुछ उल्लेख मिलते हैं, वे कतिपय श्वेताम्बर ग्रन्थों तक ही परिमित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001785
Book TitleCharlotte Krause her Life and Literature
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages674
LanguageEnglish, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_English, Biography, & Articles
File Size11 MB
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