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पर्वतिथिक्षयवृद्धिप्रश्नोत्तर विचार क्षय के वृद्धि कराय छे अने अमावास्या के पूर्णिमानी क्षय के वृद्धि होय त्यारे तेना बदले तेरशनी क्षय वृद्धि थाय छे, तेमज टिप्पणामां भादरवा सुद पंचमा बे होय त्यारे कालिक सूरीश्वरजी महाराजनी आचरणा मुजब आराध्य पंचमीथी एक दिवस पहेला एटले बीजी चोथे अने भादरवा सुद पंचमीनो क्षय होय त्यारे त्रीज-चोथ भेगा गणीने पंचमीथी एक दिवस पहेला सांवत्सरिक पर्व थाय छे. इत्यलं विस्तरेण ।।
नवा पंथनी मान्यता दर्शनमोहनीय कर्मना उदयथी नवा पंथवाळाने सूत्र अने परंपरानी वात रुचती नथी, तेथी तेओ कहे छ के- आपणा जैन पंचांगो घणी सदीथी विच्छेद गया छे माटे लौकिक पंचांग प्रमाणेज मानQ तेथी तेओ पर्वतिथिनी क्षय-वृद्धि करे छे अने पुनमनो क्षय होय तो चौदश-पुनम भेगी माने छ अने पूर्णिमानी वृद्धिमा सान्तर चौदश-पुनम माने छे.
शासनपक्षनी मान्यता __शासनपक्ष जैन पंचांगना अभावे सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र, चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र, ज्योतिषकरंडक सूत्र अने पूर्वाचार्योनी परंपराने अनुसारे लौकिक जन्मभूमि पंचांगमा पर्वतिथिनी क्षय के वृद्धि आवे तो तेना बदले अपर्वतिथिनी क्षय के वृद्धि करे छे. पुनम अने अमावास्यानी क्षय के वृद्धिए तेरसनी क्षय वृद्धि करे छे, पण पर्वतिथिनी क्षय के वृद्धि मानता नथी. विक्रम संवत १९९२ना भादरवा वदि अमावास्या सुधी तो नवा पंथवाळा पण आ प्रमाणे ज मानता हता, पण पछीथी जुदा पडया. विचित्रा कर्मणां गतिः ।
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