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पर्वतिथिक्षयवृद्धिप्रश्नोत्तर विचार
चतुर्दश्यां पौषधोपवासादिधर्मकृत्यादि पाक्षिकप्रतिक्रमणं च निषेध्य प्रथमअमावस्यां प्रथमपूर्णिमायां च पाक्षिकप्रतिक्रमणादिकरणं. उत्सूत्र खंडनग्रंथ पार्नु २० मुं.
प्रश्न २६--लौकिक टिप्पणामां अमावास्या के पूर्णि. मानो क्षय होय तो पाक्षिक प्रतिक्रमण चतुर्दशीएज करवु, आ मान्यता कया गच्छनी छे ?
उत्तर-लौकिक टिप्पणामां अमावास्या के पूर्णिमानो भय होय तो चतुर्दशीएज पाक्षिक कृत्य करवू आ मान्यता खरतरगच्छनी छे; तपागच्छनी नथी. तपागच्छवाळा तो पोतानी समाचारी मुजब अमावास्था के पूर्णिमानो क्षय होय तो टिप्पणानी तेरशे औदयिक चतुर्दशीनी स्थापना कीने पाक्षिक कृत्य करे छे. आ बाबत उपाध्याय श्री धर्मसागरजीए उत्सूत्रोद्घाट नकुलकमां स्पष्ट शब्दोमां लखी छे ।
परम अवधूत योगिराजश्री आनंदघनजी महाराज पण श्री अनंतनाथस्वामीना स्तवनमां उत्सूत्रप्ररुपणानी भयंकरता समजावतां कहे छे के• पाप नहीं कोई उत्सूत्र भाषण जिस्रो,
धर्म नहीं कोई जगसूत्र सरिखो; सूत्र अनुसार जे भविक किरिया करे,
तेहy शुद्ध चारित्र परिखो.
धार तलवारनी स्रोहली दोहली....
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