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पर्वतिथिक्षय वृद्धिप्रश्नोत्तरविचार वृद्धि मानवानो निषेध करे छे. जो आराधनामां क्षय के वृद्धि मानवानी होय तो प्रघोषनी जरुर ज रहेती नथी. क्षय होय त्यारे आराधना न करे अने घृद्धि होय त्यारे बे दिवस आराधे, क्षय मानीने आराधना करवी ए तो पोतानी माता ने वंध्या कहेवा जे छे.
प्रश्न ११ - सांवत्सरिक पर्वनी आराधना कयारे करवी ?
उत्तर-कल्पसूत्रनी समाचारीमा स्पष्ट क युं छे केतेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे वासाणं सवीसइराए मासे विइक्कंते वासावासं पज्जोसवेइ तहाणं अम्हे वि वासाणं सवीसइराए मासे विइकंते वासावास पज्जोसवेमो, अंतरावियसे कप्पइ, नो से कप्पइ तं रयणि उवाइणा वित्तए । ___अर्थ-ते काले ते समये वर्षा ऋतुनो एक मास ने वीस रात्रि व्यतीत थये छते श्रमण भगवान् महावीर प्रभुए वर्षावास कों एटले सांवत्सरिक पर्व क, तेथी अमे पण वर्षाऋतुनो एक मास ने वीश रात्रि विती गये छते वर्षावास करीए छीए, अने कारण होय तो ते पहेलो प.. वर्षावास एटले पर्युषणा पर्व थइ शके छे पण ते पंचमीनी रात्रिनु अतिक्रमण करवं कल्पे नहीं.
प्रथम सद्धान्तिक टिप्पण हतु त्यारे श्रावण वद १ थी भादरवा सुद पंचमीए पचाश दिवस पूरा थता हता हाल सैद्धान्तिक टिप्पण विच्छेद गयु छे अने लौकिक पंचांगमां
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