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पर्वतिथिक्षयवृद्धिप्रश्नोत्तरविचार होय तो पख्खीना उपवास उपर पूर्णिमा ( के अमावास्या ) ए आयंबिल अथवा नीवी करे एवा अक्षर समाचारी ग्रंथमा छे, पण एकासणु करवान शास्त्रमा दीठु नथी. अर्थ साथे उपर आपेल समाचारीग्रंथनो पाठ अने सेन प्रश्नना पाठ उपरथी एम सिद्ध थाय छे के-चतुर्दशी अने अमावास्या. के पूर्णिमानी आराधना चतुर्दशीनी अनम्तर ज थवी जोइए. ज्योतिषना नियम मुजब चतुर्दशी पछी अनंतर अमावास्य के पूर्णिमानी आराधनानुं अनन्तरपणु सिद्ध थाय छे. आचार्य श्री विजयसेनसूरीश्वरजी महाराज चतुर्दशी अने पूर्णिमानी आराधनानु अनंतरपणु कायम राखवा माटे प्रश्नना उत्तरमा समाचारी ग्रंथनो पाठ आपीने छ? तप करवानी शक्तिना अभावे पाक्षिकनो उपवास करी पौषध करवानु जणावे छे. ए बन्ने पर्वनी अनन्तर आराधना माटे शक्तिना अभावे शास्त्रकारोए तपनो फेरफार कर्यो, पण आराधनाना दिवसनो फेरफार कर्यों नथी ए खास ध्यानमा राखवा जेवु छे वेथी समाचारीना पाठने अनुसारे लौकिक पंचांगमां बे अमावास्या के बे पूर्णिमा आवे त्यारे चतुर्दशी अने अमावास्या के पूर्णिमानी अनंतर आराधना कायम राखवा माटे पूर्वाचार्योए पंचांगनी औद. यिक चतुर्दशीने बीजी तेरशरुप गणी पंचांगनी प्रथम पूर्णिमाना दिवसे लोकोत्तर औदयिक चतुर्दशी स्थापीने पाक्षिक
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