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पर्वतिथिक्षयवृद्धि प्रश्नोत्तर विचार समाधान-आराधनामां औदायिक तिथि लेवी तेमां कोई पण जातनो मतभेद नथी. श्राद्धविधिमां का छे के."प्रातःप्रत्याख्यानवेलायां या तिथि: स्यात् सा प्रमाणा"
प्रत्याख्यानना आरंभ वखतथी एटले सूर्योदयथी तिथिनी -शरुआत जणावे छे. पर्वतिथिनो आरंभ जेम सूर्योदयथी थाय तेम ते तिथिनी समाप्ति पण बीजा सूर्योदयथी अन्य तिथिनी शरुआत थाय त्यारे ज थाय एटले श्राद्धविधिमां प्रतिपादित सूर्योदयनो उत्सर्ग मार्ग ते तिथिमा लागु पडे छे के जे तिथिनी अन्य सूर्योदय वखते समाप्ति होय, परंतु पर्व के पर्वानन्तर तिथिनी पंचांगमा क्षय के वृद्धि होय त्यारे सूर्यो दयनो उत्सर्ग मार्ग अपवादनो विषय बने छ. होरप्रश्नमां पूर्णिमानी वृद्धिए बीजी औदायिक तिथि लेवानुं कह्यु छे ते लौकिक उदयवाळी छे, पण लोकोत्तर उदयवाळी नथी तो पण आराधनानी अपेक्षाए लोकोत्तर उदयवाळी मानीने तेनी आराधना करीए छीए. चतुर्दशी अने पूर्णिमा ए बन्ने प्रधान पर्वतिथि छे तेथी तेनी आराधना अनन्तर ज थाय पण -सान्तर थई शके नहि. ते माटे जुओ सेनप्रश्न अने आचारमय
समाचारीनो पाठ पत्र ३. ___ चतुष्पा कृतसम्पूर्णचतुर्विधपौषधः पूर्वोक्तानुष्ठानपरो मासचतुष्टयं यावत् पौषधप्रतिमां करोति द्वितीयोपवासशक्त्य भावे तु आचाम्लं निर्विकृतिकं वा करोति ॥
अर्थ-अष्टमी, चतुर्दशी, अमावास्या, पूर्णिमारुप चारपर्व ए चतुष्प-मां चारे प्रकारनो संपूर्ण पौषध
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