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________________ ११ पर्वतिथिक्षयवृद्धिप्रश्नोत्तरविचार वो उत्तरमा आचार्यश्रीने एटलुं ज कहेवानी जरुर हती केपूर्णिमानो क्षय होय तो ते तप तेरशे करवो भने तेरशे भूली गया होय तो एकमना दिवसे पण करयो, परंतु त्रयोदशीचतुर्दश्योः एम सप्तमी विभक्तिनुं द्विवचन वापरवानी जरुर नहोती, छतां द्विवचन मकयु छे ए खास अर्थसूचक छे, पूर्णिमानी आराधना चतुर्दशीनी पछी ज होय पण पहेलो होई शके नहि, तेथी ज तेरशनो क्षय करवो पडे छे ए हीरप्रश्नना पाटनो फलितार्थ छे. प्रश्न ९-लौकिक पंचांगमा अमावाश्या के पूर्णिमानी धृद्धि होय त्यारे ते पर्वानन्तर पर्वतिथिनी आराधना केवी रीते करवी ? पूर्णिमा के अमावास्यानी वृद्धिए तेरशनी वृद्धि. उत्तर-लौकिक पंचांगमा अमावास्या के पूर्णिमानी वृद्धि आवे त्यारे परंपरारुढ उमास्वाति महाराजना वृद्धौ कार्या तथोत्तरा' आ प्रघोषने अनुसार बीजी पूर्णिमा आराधवा माटे अने सान्तर दोष टाळवा माटे परंपरा आगमने अनुसार अमावास्या के पूर्णिमानी वृद्धिए अपर्वरुप तेरशनी वृद्धि करवामां आवे छे. शंका पूर्णिमानी वृद्धिए तेप्शनी वृद्धि करवाथी पाक्षिक कृत्य पंचांगनी प्रथम पूर्णिमाए करवु पडे अने तेम करवाथी औदयिक चतुर्दशीनो नियम रहेतो थी तेथी श्राद्धविधिकारे आपेल गाथाने अनुसारे आज्ञाभंगनो दोष लागे तेनु केम? Jain Education International mational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001774
Book TitleParvatithi Kshay Vruddhi Prashnottar Vichar tatha Muhpatti Bandhan Nibandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemchandrasuri Acharya
PublisherChinubhai Trikamlal Saraf
Publication Year1962
Total Pages70
LanguageGujarati, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Gujarati, Tithi, & Religion
File Size3 MB
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