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________________ पर्वतिथिक्षयवृद्धिप्रश्नोत्तर विचार त्यक्त्वा शब्द छोडीने अवगणय्य शब्द न वापरत. ए प्रमाणे बीजी पर्वतिथिओनी वृद्धिने माटे पण समजवु. आ उपरथी एम सिद्ध थाय छे के-भीतीया जैन पंचागोमां आठमना क्षये सातमनो क्षय अने चौदशनी वृद्धिए बे तेरस लखवामां आवे छे ते सूत्र अने परंपरासिद्ध छे एम समजवू प्रश्न ६-श्राविधि ग्रंथमां आपेल वाचक उमास्वाति महाराजना प्रघोषना बन्ने चरण शुं तेमना रचेल छे ? उत्तर-आ प्रघोषमां कार्यापद बे वार आवे छे तेथी प्रघोषना बने चरणने एक ज कर्ताना मानीए तो पुनरूति दोष आवे छे. उमास्वाति महाराजे तत्तार्थ सूत्रनी रचना करी छे तेमां कोई सूत्रनी अंदर पुनरुक्ति दोष देखातो नथी अने आवा सामान्य बे चरणमा पुनरुक्ति दोष मूके ए वात असंभावित लागे छे, तेथी अमारूं एम मान, छे के-क्षये पूर्वा तिथिः कार्या आ प्रथम चरण तो उमास्वाति महाराजर्नु ज रचेल छे; बीजा चरणने भाटे संशय छे ते चरण सैद्धान्तिक टिप्पणना अभावे पालथी लौकिक पंचांगमा आवती वृद्धि तिथिनी व्यवस्था माटे पूर्वाचार्य रचेल लागे छे. आ प्रघोष पूर्वपरंपराथी आवेल होईने पूर्वाचार्योए मानेल छे अने अमे पण मानीए छीए. . प्रश्न ७-सैद्धान्तिक टिप्पणनो अभाव कयारथी थएल मानो हो ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001774
Book TitleParvatithi Kshay Vruddhi Prashnottar Vichar tatha Muhpatti Bandhan Nibandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemchandrasuri Acharya
PublisherChinubhai Trikamlal Saraf
Publication Year1962
Total Pages70
LanguageGujarati, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Gujarati, Tithi, & Religion
File Size3 MB
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