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________________ अन्त में सितारा होने पर व्यक्ति स्मृतिहीन हो जाता है, विशेषतया वृद्धावस्था में ऐसे फल होते हैं। इन्हें वृद्धावस्था में लकवा आदि बीमारियां होती हैं। मंगल रेखा में सितारा किसी दुर्घटना से मृत्यु का लक्षण है। इस दशा में कई-कई विवाह. करने पर भी जीवन साथी का सुख नहीं मिलता। वास्तव में सितारा एक दोषपूर्ण लक्षण है। सितारे के साथ अन्य लक्षण भी हाथ में उपस्थित हों तो उनके साथ इसका समन्वय कर लेना चाहिए। बड़ी रेखाओं के कटने से जो सितारे की आकृति बनती है, उसका प्रभाव इतना घातक नहीं होता, जितना कि स्वतन्त्र रूप से बने हुए सितारे का। अतः निर्णय करने के पश्चात् ही इस प्रकार के अनिष्ट फल कहने चाहिए, अन्यथा मानसिक आघात पहुंचकर अनपेक्षित घटनाएं हो सकती हैं। मस्तिष्क रेखा अधिक दोषपूर्ण, हृदय रेखा टूटी-फूटी या दोषपूर्ण या हाथ में स्नायु विकार के अन्य लक्षण होने पर बहुत सोच समझकर बुरे फल कहने चाहिए, अन्यथा घबराकर या तो व्यक्ति पागल हो जाता है या घटनाओं को सोच कर परेशान रहता है। इस दशा में कई बार आत्महत्या की घटनाएं भी देखी जाती हैं। तिल हाथ में तिलों की उपस्थिति फलादेश के विषय में अपना अलग महत्व रखती है। तिल का ठीक किसी रेखा पर होना अच्छा नहीं माना जाता। ऐसे तिल शरीर-विकार का निर्देष करते हैं। अत: रेखाओं में तिल की ठीक स्थिति का निर्णय करना आवश्यक है। ग्रहों पर तिल प्रभावकारी होते हैं, जबकि उगलियों के तिल कम प्रभाव करते हैं। ग्रहों में तिल होने पर निम्न प्रकार के फल देखने में आते हैं शनि पर तिल शनि या शनि की उंगली पर तिल होने पर व्यक्ति को धनी होने का योग होता है। यदि हाथ दोषपूर्ण और रेखाओं में भी दोष हो तो व्यक्ति का जन्म निम्न कोटि के वंश में होता है और उन्हें चोरी करने की आदत होती है। ठीक शनि पर तिल अग्नि या बिजली से हानि की सूचना है। ऐसे व्यक्ति को स्वप्न या प्रत्यक्ष में सांप अधिक दिखाई देते हैं। हाथ में अन्य लक्षण जैसे बृहस्पति मुद्रिका को किसी रेखा के द्वारा काटने या मस्तिष्क रेखा की शाखा बुध पर जाने पर सांप काटता है। शुक्र पर तिल शुक्र पर तिल व्यक्ति के विलासी होने का चिन्ह है। ये मध्यायु में धनी हो जाते हैं। जीवन साथी का सुख भी इन्हें कम मिलता है। उनसे अनबन रहना या उसका 95 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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