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________________ देते हैं व दीर्घायु कारक हैं। मस्तिष्क रेखा के आरम्भ का त्रिकोण यदि बृहस्पति व मंगल के मध्य में हो तो जीवन भर बुद्धि, धैर्य व साहस रहता है। मंगल से मस्तिष्क रेखा त्रिकोणयुक्त निकली हो तो साहसिक काम करने वाले होते हैं। ऐसे व्यक्ति राजद्रोह, षड़यत्र आदि कार्यों में भाग लेते हैं व बच निकलते हैं। बृहस्पति से निकली मस्तिष्क रेखा आरम्भ में त्रिकोणयुक्त हो तो व्यक्ति को स्वावलम्बी, निर्भीमानी, कर्तव्य परायणता व समाज को नई दिशा देने वाला तथा फिर भी समाज से अलग रहने वाला बनाता है। मस्तिष्क सम्बन्धी विकारों से भी यह त्रिकोण रक्षा करता है। भाग्य रेखा में स्वतन्त्र त्रिकोण आर्थिक लाभ का द्योतक है। जब भाग्य रेखा में अनेक त्रिकोण होते हैं तो व्यक्ति का भाग्योदय होकर प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। भाग्य रेखा के दोनों ओर त्रिकोण जब एक चतुष्कोण का आधार बनाते हैं तो उस आयु में व्यक्ति सम्पत्ति निर्माण करता है। यह सम्पत्ति इन्हें जीवन में विशेष प्रतिष्ठा व लाभ देती है। हृदय रेखा में जितने त्रिकोण ऊपर की ओर होते हैं, व्यक्ति उतनी ही सम्पत्तियां निर्माण करता है। हृदय रेखा में शनि के नीचे त्रिकोण होना भी उस आयु में सम्पत्ति निर्माण, सन्तान के द्वारा विशेष ख्याति व लाभ प्राप्त करने का चिन्ह है। अनेक बार शनि के नीचे हृदय रेखा में मस्तिष्क रेखा की ओर त्रिकोण का आकार होता है। यह द्वीप का फल करता है। इस त्रिकोणाकार द्वीप की तीनों भुजाएं हृदय रेखा के समान मोटी होती हैं। मस्तिष्क रेखा में शनि के नीचे दोष होने पर यह त्रिकोण हार्निया, गर्भाशय रोग, पौरुष ग्रन्थी व गुर्दे आदि अंगों में रोग का लक्षण है (देखें चित्र - 28 ) इसे द्वीप ही कहते हैं, त्रिकोण नहीं । हृदय रेखा में नीचे की ओर जाने वाले अन्य त्रिकोण उस आयु में मानसिक वेदना से रक्षा करते हैं। कभी-कभी तो इस आयु में ऐसा आघात होता है कि व्यक्ति आत्महत्या की बात सोचने लगता है, परन्तु हृदय रेखा का यह भाग त्रिकोण से आच्छादित होने पर रक्षा हो जाती चित्र : 28 द्वीप है। हृदय रेखा का त्रिकोण, मकान, बगीचे, धर्मशाला, जमीन व पैतृक परम्परा से प्राप्त होने वाले धन का भी लक्षण है। अन्य रेखाएं जितनी सुन्दर होती हैं, उतना ही अधिक फल कहना चाहिए। हाथ में जीवन रेखा व मस्तिष्क रेखा में दोष होने पर इनकी पैतृक सम्पत्ति तो होती है, परन्तु उससे कोई विशेष लाभ नहीं होता । शनि के नीचे हृदय रेखा में ऊपर की ओर पाये जाने वाले त्रिकोण व्यक्ति को 90 Jain Education International X For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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