________________
= सूर्य मुद्रिका =
सूर्य उंगली के नीचे सूर्य ग्रह को घेरती हुई गोलाकार रेखा का नाम सूर्य मुद्रिका
thic
यह मुद्रिका धार्मिक प्रवृत्ति, साहित्यिक एवं व्यक्तिगत प्रतिभा का लक्षण है। सूर्य रेखा भी हाथ में होने पर यह अधिक उत्तम फल प्रदान करती है। दो सूर्य रेखाएं होने पर ऐसे व्यक्ति अत्यन्त प्रतिभाशाली और सतोगुणी देवता की उपासना करने वाले, प्रेमी व धार्मिक विचारों के होते हैं।
बुध या सूर्य के नीचे हृदय रेखा में द्वीप या अन्य दोष होने पर सूर्य मुद्रिका भी दोषपूर्ण हो तो व्यक्ति के नेत्रों में दोष की पुष्टि करती है, परन्तु ऐसे व्यक्ति
चाहे अन्धे ही क्यों न हों, अति प्रतिभाशाली होते हैं। चित्र : 26 सूर्य मुद्रिका
टूटी व उंगलियों के पास होने पर इसके फलों में कमी देखी जाती है अन्यथा यह हाथ में उत्तम लक्षण है। (देखें चित्र-26)।
= शुक्र मुद्रिका
शनि व सूर्य को एक साथ घेरने वाली रेखा को शुक्र मुद्रिका कहते हैं। यह हाथ में विशेष लक्षण माना जाता है। ऐसे व्यक्ति धनी व रसिक होते हैं। इनकी प्रकत्ति वासनात्मक होती है। शुक्र मुद्रिका टूटी-फूटी या उंगलियों के पास हो तो चरित्र दोष का लक्षण मानी जाती है। हाथ में अन्य वासना वृद्धि के लक्षण होने पर टूटी या उंगलियों के पास होने वाली शुक्र मुद्रिका इसमें कई गुना वृद्धि करती है।
उंगलियां मोटी, हृदय रेखा उंगलियों के पास, हृदय रेखा जंजीराकार, शुक्र पर जाली, जीवन रेखा सीधी, मस्तिष्क रेखा में शनि के नीचे द्वीप व चन्द्रमा पर अधिक रेखाएं होने पर दोषपूर्ण शुक्र मुद्रिका वाले व्यक्ति वासना के कीड़े होते हैं। कामान्धता में उचित, अनुचित का विचार नहीं करते।
__ शुक्र मुद्रिका निर्दोष व उंगलियों से दूर होने पर व्यक्ति साहित्य सृजन में रूचि लेने वाले उच्च कोटि के लेखक होते हैं। ऐसे लेखक अपने ही मूड में होते हैं। दस दिन लिखते हैं और चार दिन की छुट्टी करते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि इनका
86
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org