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________________ ही क्या। ऐसे व्यक्ति साधारण रूप से तो कोई कार्य कर ही नहीं सकते, मस्तिष्क में हमेशा ही शैतानी भरी रहती है। समाज के दुश्मन होते हैं और हर प्रकार का कार्य करने के लिए तत्पर रहते हैं। बृहस्पति की उंगली छोटी होने पर सम्मान से गिरे हुए कार्य भी करते हैं। इस प्रकार के लक्षण होने पर मस्तिष्क रेखा जितनी अच्छी होती है, व्यक्ति असामाजिक कार्य करने में उतना ही चतुर होता है। चोरी भी करते हैं और पकड़ में भी नहीं आते। विशिष्ट प्रकार से षडयन्त्र करने वाले व्यक्ति के हाथ में इस प्रकार के चिन्ह होते हैं। हाथ उत्तम होने पर मस्तिष्क रेखा बहुत अच्छी हो, बुध उन्नत व बुध की उंगली तिरछी हो तो ऐसे व्यक्ति भी विशेष बुद्धिमान होते हैं। वकील, डॉक्टर, बड़े अधिकारी तथा पत्रकार, उच्च कोटि के वक्ता इसी श्रेणी में आते हैं। इनकी परख शक्ति उच्च कोटि की होती है। ऐसे व्यक्ति कार्य कुशल होते हैं। चित्र: 21 बुध ग्रह बुध उन्नत होने पर मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा समानान्तर हो तो हाथ में अन्य लक्षण अच्छे होते हैं, और सूर्य रेखा हो तो खोजकर्त्ता होते हैं। प्रत्येक कार्य में मस्तिष्क का प्रयोग करके अपना नया अन्दाज निकाल लेते हैं और आश्चर्यजनक रूप से सफल होते हैं। अतः वैज्ञानिक तथा शोध करने वाले विद्यार्थी इसी श्रेणी में आते हैं। बुध का उत्तम होना व्यक्ति में परिमार्जित बुद्धि का लक्षण होता है, लेकिन यदि हाथ दोषपूर्ण हो तो निकृष्ट ध्येय के लिए प्रयोग की जाती है। कुछ उन्नत होने पर बुध की उंगली सूर्य की उंगली के तीसरे पोर से आगे निकलने व बुध का नाखून छोटा होने पर सोने पे सुहागे का कार्य करता है। ऐसे व्यक्ति हरी वस्तुओं, हरे रंग के वस्त्रों में अधिक रूचि रखते हैं। बुध उन्नत होने पर सूर्य या चन्द्रमा भी उन्नत हों तो ऐसे व्यक्ति औषधि आदि के ज्ञान में दक्ष होते हैं। बुध का नाखून छोटा व मस्तिष्क रेखा दोहरी या बुध की उंगली टेढ़ी और मस्तिष्क रेखा बृहस्पति के पास निकली हो तो जौहरी या परख का कार्य करने वाला होता है। बृहस्पति उन्नत होने पर ये उत्तम कोटि के प्रबन्धक व ऊंचे पदों पर काम करने वाले होते हैं। बुध पर तिल होना एक विशेष लक्षण है। उत्तम हाथ में यह पत्रकार, लेखक होने का लक्षण होता है, परन्तु निम्न कोटि के हाथ होने पर व्यक्ति झूठ बोलने वाले व चोर होते हैं। बुध पर तीन खड़ी रेखाएं होने पर इनका कोई पुत्र या स्वयं डाक्टर या रसायन शास्त्र के ज्ञाता होते हैं। इन्हें औषधियों का अधिक ज्ञान होता है। Jain Education International - 78 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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