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________________ की कोई छोटी नाड़ी फट जाती है, उसी के फलस्वरूप इस प्रकार काली धारी अंगूठे के नाखून में बनती है। यह धारी कुछ मोटी व स्पष्ट होती है। ऐसे व्यक्तियों को गुर्दे के रोग होने का डर रहता है। धारियां छूने पर चिकनी तथा नालियां खुरदरी अनुभव होती हैं। लम्बे संकरे नाखून जब नाखून बहुत संकरे हों तो रीढ़ की कमजोरी की ओर संकेत करते हैं। यदि वे बहुत बड़े व पतले हों तो यह समझना चाहिए कि रीढ़ की हड्डी टेढ़ी हो गयी है और शरीर निर्बल हो गया है। भद्दे नाखून चित्र-14 कुछ व्यक्तियों के नाखून कटे-फटे से अथवा भद्दे से होते हैं। ये ऊबड़-खाबड़ से दिखाई देते हैं। इन्हें पेशाब में फास्फेट जाता है। इन्हें रोगों की सम्भावना रहती है। खून की कमी इसमें प्रधान कारण है। कई बार नाखूनों के अन्त में अर्थात् बाहर की ओर धुंधली काली-सफेद-सी धारी दिखाई देती है। ऐसे व्यक्तियों को हृदय रोग हो जाता है। चपटे नाखून यदि नाखून बहुत चपटे दिखाई दें और ऊपरी अन्त पर मांस से उखड़े नज़र आयें तो पक्षाघात का खतरा होता है। यह ख़तरा और भी अधिक हो जाता है यदि वे सीप की आकार के होकर मूल स्थान की दिशा में नुकीले हों। जब इन नाखूनों में चन्द्र के कोई चिन्ह न हों तो यह समझना चाहिए कि रोग बढ़ गया है। चतुष्कोणाकार नाखून चित्र - 15 नाखूनों की लम्बाई व चौड़ाई बराबर होने पर ऐसे व्यक्ति उन्नति करने वाले होते हैं, परन्तु प्रारम्भिक जीवन में इन्हें संघर्ष का सामना करना पड़ता है। इनका लाभ और हानि बराबर होता है, परन्तु सन्तान के कार्य करने के पश्चात् विशेष सफलता मिलती है। इनकी मनोवृत्ति मिली-जुली होती है। ऐसे व्यक्ति अच्छी बातों को ग्रहण करने वाले होते हैं, परन्तु क्रोध आने पर गुणों की टोपी उतार कर अलग रख देते हैं। बड़ी उम्र में इनका क्रोध बहुत कम हो जाता है। इस प्रकार स्नेह में भी ये व्यक्ति अविचारी पाए जाते हैं। आचार व व्यवहार में समान होते हैं। महसूस भी करते हैं और हंसते भी हैं। इनका गला थोड़ा बहुत खराब होता है। वृद्धावस्था में नजला या कफ का प्रभाव देखा जाता है। ये साधारणतया शरीर से ठीक रहते हैं। Jain Education International 66 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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