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________________ निरन्तर उन्नति करने वाले होते हैं। ऐसे व्यक्तियों के मार्ग में रुकावटें कम आती हैं। प्रकृति इनका अधिक साथ देती है। अन्य रेखाएं भी अच्छी होने पर या उंगलियों के आधार समतल होने पर ऐसे व्यक्ति बहुत शीध्र व विशेष उन्नति करते देखे जाते हैं। उंगलियां टेढ़ी होने पर यदि हाथ उत्तम कोटि का हो तो ऐसे व्यक्ति अन्य ढंग से खोज कार्य करते हैं और शीध्र ही अपना जीवन बना लेते हैं। ऐसे व्यक्तियों के प्रत्येक कार्य क्रान्तिकारी होते हैं। दो या अधिक उंगलियों के आधार यदि समान हों तो व्यक्ति के जीवन में उन्नति के अधिक अवसर उपस्थित होते हैं। यदि तीन या चार उंगलियों के आधार नीचे से बिलकुल समतल अर्थात् सरल रेखाओं में हों तो ऐसे व्यक्ति धन, देश व समाज में अपनी गिनती रखते हैं। हाथ की उंगलियों के पोरों से जीवन के वर्षों की गणना की जाती है। अतः इस सिद्धान्त के अनुसार हाथ के जिस पोर पर आड़ी रेखा स्पष्ट रूप से होती हैं, व्यक्ति को उस आयु में किसी न किसी दुर्भाग्य का सामना करना पड़ता है। यदि सभी उंगलियों में 3 के स्थान पर 4 पोर हो तो यह जेल यात्रा का निश्चित लक्षण है। उंगलियों में छेद होना क्रान्तिकारी होने का लक्षण है। ऐसे व्यक्ति भी कार्य में अपना महत्व दर्शाते हैं। ये दबकर नहीं रहते, स्वतन्त्र विचारों के व स्पष्टवक्ता होते हैं। उंगलियों में छिद्र होना, हाथ के चमसाकार होने का प्रमुख लक्षण है। अतः ऐसे व्यक्ति विविध विषयों के ज्ञाता होते हैं, चाहे दक्षता किसी एक विषय में ही हो। उंगलियां सीधी होने के साथ-साथ यदि नुकीली भी हों तो यह व्यक्ति के चरित्र में कलात्मकता का चिन्ह है। ऐसे व्यक्तियों का मस्तिष्क कल्पनाशील, विचारशील तथा प्रकृति प्रेमी होता है। मस्तिष्क रेखा में दोष होने पर ऐसे व्यक्ति पढ़ाई में अधिक रूचि नहीं लेते। नुकीली उंगलियां होने के साथ-साथ हाथ भी कठोर हो तो परिवार में पेटदर्द, सिर में भारीपन, दौरे पड़ना, टांगों में दर्द रहना आदि बीमारियां किसी न किसी को अवश्य पाई जाती है। ___दोनों हाथों को सामान्य रूप से सीधा रखने पर जिस उंगली का पोर दूसरी उंगलियों के पोर की अपेक्षा अधिक उभरा दिखाई देता है, यह उस उंगली के ग्रह सम्बन्धी विशेष महत्व का लक्षण है। जैसे बृहस्पति की उंगली का पोर उभरा होने पर अहम्, बातचीत में गम्भीरता और महत्वाकांक्षा, शनि की उंगली का पोर उभरा होने पर धन की लालसा, अध्यात्म विषय में जिज्ञासा तथा रहस्य जानने की अभिलाषा, सूर्य का पोर उभरा होने पर प्रतिष्ठा, यश, आकांक्षा तथा सबसे सुन्दर व्यवहार व चिन्तनशीलता तथा बुध की उंगली का पोर उभरा होने पर वक्तृत्व शक्ति में संक्षिप्तता, सुन्दर व प्रभावशाली गुणों का द्योतक है। सत्य तो यह है कि इनके कहने की शैली विचित्र होती है। 52 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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