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________________ मस्तिष्क रेखा निर्दोष होने पर जब उससे एक या अधिक निर्दोष सूर्य रेखाएं निकलती हों तो उस आयु में व्यक्ति को प्रसिद्धि प्राप्त होती है और धन-सम्पत्ति का सुख होता है। इस आयु में एक आश्चर्यजनक बात घटित होती है कि जो व्यक्ति सदैव ही इनका विरोध करते हैं, वे इस आयु में इनका साथ देते हैं व प्रशंसा करते हैं। स्पष्टवक्ता होने के कारण आरम्भ में इनका विरोध होता हैं, परन्तु मध्य आयु में क्रोध कम हो जाने के कारण अपने शत्रुओं को वश में कर लेते हैं। विलासकीय रेखा | All यह रेखा शुक्र से निकल कर गोलाकार रूप में बुध पर जाती है (चित्र-200)। वैसे तो यह बहुत कम हाथों में देखने को मिलती है, परन्तु जहां होती है, इसका महत्व पण प्रभाव होता है। हाथ उत्तम व अच्छे लक्षणों से युक्त होने पर विलासकीय रेखा भी दोष रहित हो तो व्यक्ति उत्तरोत्तर उन्नति करता है और विशेष धनी होता है। दोषपूर्ण हाथ या रेखाएं होने पर व्यक्ति अन्तिम आयु में धनी होते हैं। विलासकीय रेखा में दोष होने पर भी वृद्धावस्था में ही धनी होते हैं। किसी भी प्रकार की विलासकीय रेखा हाथ में होने पर व्यक्ति के गृहस्थ सुख व यौन इच्छा सदा अपूर्ण रहती है। ऐसे व्यक्ति कई विवाह करते हैं मगर किसी भी - - जीवन साथी से या तो सुख प्राप्त नहीं होता या उसकी मृत्यु हो जाती है। इनके प्रेम सम्बन्ध भी सफल नहीं होते, अन्त में निराशा ही हाथ लगती है। यौन सम्बन्ध में ये जीवन भर अपनी अपूर्ण लालसा लिए फिरते हैं। विलासकीय रेखा होने पर यदि हृदय रेखा की एक से अधिक शाखाएं मस्तिष्क रेखा पर मिलती हों तो ऐसे व्यक्ति जीवन भर असन्तुष्ट व निराश रहते हैं। धन तो होता है फिर भी सन्तुष्टि नहीं होती, शान्ति नहीं मिलती। इनका सम्पर्क अनेकों से रहता है फिर भी सन्तुष्टि नहीं होती और न ही इनके सम्बन्ध लम्बे समय तक चलते हैं। कई-कई विवाह करने पर भी इन्हें अन्त में बिना जीवन साथी के ही जीवन निर्वाह करना पड़ता हैं। जीवन साथी के कारण ये जीवन भर अभागे रहते हैं। चित्र-200 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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