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________________ भाव समाधि आदि लक्षण जिन्हें सात्विक विकार कहा जाता है, इनमें प्रकट नहीं होते। हाथ में अन्य उत्तम लक्षण होने पर इन्हें अन्तिम आयु में विशेष अवस्था प्राप्त होती है। इनकी मस्तिष्क रेखा में कोई न कोई दोष अवश्य पाया जाता है। मस्तिष्क रेखा निर्दोष होने की दशा में उपरोक्त फल नहीं होते। यह सम्पत्ति-लाभ जैसे किराये आदि की आय का लक्षण है। चन्द्रमा से दो सूर्य रेखाएं निकल कर सूर्य पर जाती हों तो जीवन साथी बहुत सुन्दर व सुशील होता है, जबकि ऐसे व्यक्ति स्वयं साधारण होते हैं। बुध रेखा से सूर्य रेखा निकले तो व्यक्ति व्यापार के माध्यम से धन व ख्याति अर्जित करते हैं। ऐसे लक्षण बड़े व्यापारियों व मिल मालिकों के हाथों में पाये जाते हैं। ये धनी व प्रसिद्ध होते हैं। मंगल से सूर्य रेखा निकलने पर यदि हृदय रेखा में द्वीप या अन्य विशेष दोष हो तो आंखों या हृदय में रोग होता है। बड़ी आयु में धन, प्रतिष्ठा व प्रसिद्धि प्राप्त होती है। सूर्य रेखा में द्वीप, गड्ढे या लाल व काले धब्बे हों तो जीवन में बदनामी का कारण उपस्थित करते हैं। ऐसे व्यक्तियों को पत्नी की बदनामी के कारण परेशानी होती है। सूर्य रेखा, समकोण, चमसाकार, दार्शनिक व आदर्शवादी हाथों में विशेष फल करती है। सभी ग्रह उन्नत होने पर ऐसे व्यक्ति स्वतन्त्र आदत के होते हैं, किसी के अधीन रहकर कार्य नहीं कर सकते। अतः शीघ्र ही स्वतन्त्र व्यवसाय का प्रबन्ध कर लेते हैं। इन्हें आरम्भ में नौकरी अवश्य करनी पड़ती है, क्योंकि ये किसी का एहसान नहीं लेते और न ही किसी से उधार मांगते हैं। दो सूर्य रेखाओं वाले व्यक्ति दयालु होते हैं। ऐसे व्यक्ति को स्वास्थ्य सम्बन्धी थोड़ी बहुत चिन्ता अवश्य रहती है। इनका भाग्योदय अचानक होता है। सूर्य रेखा हृदय रेखा तक या इससे भी छोटी हो और उंगलियों की ओर से मोटी व नीचे से पतली हो तो छाती में चोट लगती है या दर्द रहता है। इनको हृदय रोग की पूरी सम्भावना रहती है। यह लक्षण 80 प्रतिशत हाथों में पाए जाते हैं। इसी प्रकार जौ की लम्बाई का टुकड़ा अधिक दोषपूर्ण फल करता है । चित्र - 199 सूर्य रेखा प्रभावित रेखा या इसके पास से निकलने पर जीवन रेखा व मस्तिष्क रेखा में त्रिकोण हो तो ससुराल से धन लाभ होता है। प्रभावित रेखा में त्रिकोण होने पर विशेष धन लाभ होता है या किसी विवाद के पश्चात् भाग्योदय होता है। Jain Education International 268 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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