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________________ हैं, अतः भय होकर भी रह जाता है, मान-हानि या सजा नहीं होती। इस प्रकार की घटनाएं जीवन में तीन बार तक होती है। बुध की उंगली का नाखून छोटा व चौकोर हो तो विशेष भाग्य रेखा वाले व्यक्ति राजनैतिक जीवन में ख्याति प्राप्त करते हैं या तो ये चुनाव लड़ते हैं या योग्यता के आधार पर मनोनीत किये जाते हैं। निर्विरोध चुने जाने वाले व्यक्तियों के हाथों में भी ऐसी ही रेखाएं होती। हैं। ऐसे व्यक्ति किसी संस्था के प्रधान या मन्त्री होते I हाथ निकृष्ट होने पर विशेष भाग्य रेखा हो तो अपने ही स्तर के व्यक्तियों में सम्मान प्राप्त करते हैं और उनका मार्गदर्शन करते हैं परन्तु हाथ उत्तम होने पर ऐसे व्यक्ति सेनानायक, शासन-शक्ति सम्पन्न, शोधकर्ता व असाधारण मानसिक दक्षता रखने वाले होते हैं। कलाकार, डाक्टर, प्रोफेसर, इन्जीनियर, चित्र-167 वकील, सलाहकार, एडीटर आदि बौद्धिक-गुण कार्य को पूरे उत्तरदायित्व के साथ पूर्ण करते हैं और जिस कुल में पैदा होते हैं, उसका नाम ऊंचा करते हैं। चरित्रहीन या डाकू होने पर भी विशेषतया, सम्मान व ख्याति प्राप्त करते हैं यहां तक कि जेल में भी चौधरी ही रहते हैं। ऐसे व्यक्ति महत्वाकांक्षी. सद्भाव-सम्पन्न व परोपकारी होते हैं। कहा जा सकता है कि प्रभु ही इन्हें अधिकार सम्पन्न बनाते हैं। ऐसे व्यक्तियों को पड़ोसी, सम्बन्धियों व जाति या समाज, जहां ये काम करते हैं बहिष्कार, विरोध व तिरस्कार का सामना करना पड़ता है क्योंकि समाज इनके बढ़ते सम्मान व आर्थिक उन्नति से ईर्ष्या करता है परन्तु इनके समर्थक भी अधिक होते हैं, क्योंकि ये सदैव न्याय व सत्य का पक्ष लेते हैं। इनका अपने परिवार के व्यक्तियों से भी विरोध रहता है, यद्यपि ये सभी की सहायता करते हैं परन्तु अन्त में उन पर प्रभाव जमाने में सफल हो जाते हैं। ये सिद्धान्तवादी, किसी बात को ठीक ढंग से सोचने वाले व अपने सिद्धान्त को कार्य रूप देने वाले होते हैं। अतः पुराने सम्बन्धों को रखते हुए भी नए समाज का सृजन कर लेते हैं। फलतः इनकी उन्नति के आरम्भ में बहुत कठिनाइयां व रुकावटें आती हैं। बड़ी आयु में ऐसे व्यक्ति-चिन्तन करते हैं क्योंकि मन व कर्म से सात्विक होते हैं। इस दशा में हाथ का रंग गुलाबी, मस्तिष्क रेखा में कोई दोष व अंगूठा लचीला होना अनिवार्य है। 242 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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