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________________ व हाथ सुन्दर भी हो तो कहना ही क्या? वस्तुतः यह रेखा अन्य सभी रेखाओं व लक्षणों का मूल्य बढ़ा कर कई गुना कर देती है। ऐसे व्यक्तियों के हाथों में शुक्र रेखा जीवन रेखा के पास या जीवन रेखा को छूती हो (चित्र-165) तो ये नौकरी करते हैं। मध्यम-समकोण व चमसाकार हाथ नौकरी करने वालों के ही होते हैं, क्योंकि ऐसे व्यक्ति अपना जीवन स्वयं बनाते हैं और अपने व्यक्तिगत गुणों से बिना किसी का सहारा लिए ही उन्नति करते हैं। अतः प्रारम्भ में नौकरी के बाद व्यापार करते हैं। मध्यम समकोण का तात्पर्य समकोण तथा कुछ दोषपूर्ण या मिश्रित समकोण हाथ से है। विशेष भाग्य रेखा होने पर व्यक्ति की नौकरी का स्तर अपेक्षाकृत ऊंचा होता है, ये अपने कार्य में स्वतन्त्र होते हैं। प्रायः देखा जाता है कि इनके ऊपर कोई दूसरा अफसर या उच्च अधिकारी नहीं होता, यदि होता भी है तो वह इनके लिए रुकावट नहीं बनता, इनका व्यक्तित्व स्वतन्त्र होता है। बृहस्पति पर जीवन रेखा से रेखाएं जाने (चित्र--166) और भाग्य रेखाएं अनेक होने पर ऐसे व्यक्तियों की प्रत्येक इच्छा पूर्ण होती है। व्यापारियों के हाथों में ऐसा होने पर बड़े व्यापारी होते हैं। छोटा या प्रशासक हाथ होने पर ऐसे , व्यक्ति विभाग के प्रमुख अधिकारी जैसे डायरेक्टर, । चेयरमैन, स्वामी या प्रबन्धक होते हैं। बड़े-बड़े प्रशासनिक अधिकारी-सम्पन्न व्यक्तियों, नेताओं व पुलिस अफसरों के हाथों में भी ऐसी रेखाएं होती हैं। इस रेखा की पुष्टि का चिन्ह जंघा पर तिल होता है। एक हाथ में यह रेखा होने पर उससे दूसरी ओर जंधा पर तिल पाया जाता है। ऐसे व्यक्तियों को वाहन का सुख मिलता है। विशेष भाग्य रेखा दोनों हाथों में -.. एक से अधिक होने पर इन्हें बार-बार वाहन बदलने की आदत होती है। इन्हें एक्सीडेन्ट या जेल का भय भी होता है लेकिन जब तक हाथ में जेल जाने का कोई विशेष लक्षण नहीं हो, जेल जाने का फल नहीं कहना चाहिए। कई बार ऐसा देखा जाता है कि वारन्ट किसी दूसरे के नाम होता है और गिरफ्तारी इनकी हो जाती है, फलस्वरूप मानसिक परेशानी होती है और अन्त में जीत होती है। मंगल रेखा (चित्र-167) होने पर ऐसे व्यक्तियों के घरों में छापे पड़ते हैं। सार्वजनिक जीवन में ये राजनैतिक कारणों से जेल जाते हैं। व्यापारी होने पर जेल जाने का भय, टैक्स आदि कारणों से भी होता है। परन्तु इनके सम्बन्ध उच्च स्तर के व्यक्तियों से होते चित्र-166 241 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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