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________________ साथ ही देखते हैं और परिस्थितियों का समन्वय करने के पश्चात् ही निर्णय लेते हैं। ये ईमानदार और सतर्क होते हैं। = हृदय व मस्तिष्क रेखा पास-पास । हाथ में हृदय व मस्तिष्क रेखा का अन्तर कम होना एक विशेष लक्षण है। यह व्यक्ति के चरित्र, कार्यशीलता व मानसिक चिन्तन पर प्रभाव डालता है। ऐसे व्यक्ति बहुत ही सतर्क, अत्याधिक क्रियाशील एवं प्रगति करने वाले होते हैं। ऐसे व्यक्ति पहले अपनी ही उन्नति में विश्वास करते हैं, तत्पश्चात् रिश्तेदारों व समाज की ओर ध्यान देते हैं। फलस्वरूप शीघ्र उन्नति करते देखे जाते हैं। ये बहुत ही उत्तरदायी होते हैं। ___ आर्थिक स्थिति ठीक हुए बिना या पूर्णतया पैरों पर खड़े हुए बिना ये विवाह नहीं करते। इन्हें कोई-कोई बात अधिक महसूस होती है और किसी का हस्तक्षेप भी अपने कार्य में सहन नहीं होता। इनके परिवार में प्रत्येक व्यक्ति इसी आदत का होता है। सब अपनी-अपनी व्यक्तिगत उन्नति करते हैं और पूरा परिवार ही उन्नति करता है। ___ऐसे व्यक्ति नकद धन संचय में विश्वास करते हैं। अतः समय मिलते ही धन इकटठा कर लेते हैं। भाग्य रेखा जिस आयु में पतली होनी आरम्भ होती है, ये धन बचाना आरम्भ करते हैं। भाग्य रेखाएं अधिक होने पर खर्च स्वभावतः ही अधिक होता है, तो भी ऐसे व्यक्ति बहुत देख भाल कर खर्च करते हैं। घर का खर्च अधिक होने पर व्यक्तिगत व्यय बहुत कम होता है। ऐसे व्यक्ति जिससे सम्बन्ध बनाते हैं तोड़ते नहीं, बिगाड़ना भी पसन्द नहीं करते हैं, परन्तु कोई बात चुभने पर उदासीन हो जाते हैं। स्पष्ट रूप से तो नहीं बिगाड़ते, मगर मन से सम्बन्ध समाप्त कर देते हैं। अधिक मित्र या घुलना-मिलना भी इन्हें पसन्द नहीं होता। पत्र भी ये साधारणतया नहीं लिखते। जिस कार्य में इनका मन लग जाता है, उसी में पूर्णतया डूब जाते हैं, अतः कठिनाइयों के बावजूद भी अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं । ऐसे व्यक्तियों का निश्चय बदला नहीं जा सकता, चाहे अध्ययन हो, चाहे प्रेम-विवाह का मामला। ऐसे व्यक्ति के हाथ में भावुकता के लक्षण हों तो कार्य में असफल होने पर बहुत महसूस करते हैं और विशेष दोष होने पर आत्महत्या या जहर खाना आदि की घटनाएं इनके साथ होती हैं। ऐसे व्यक्तियों के सम्बन्धी या मित्र भी अधिक नहीं होते क्योंकि धन व सम्बन्धों 237 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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