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________________ काम करने का इनका अपना ही तरीका होता है। मस्तिष्क सुन्दर होने पर ये प्रत्येक कार्य को सरल व सुचारू बना लेते हैं। अतः शीघ्र सफल होते देखे जाते हैं। विश्वास करने का गुण तो इनमें होता ही है, परन्तु कार्य के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं करते। हो सकता है कि कुछ समय तक दूसरों के सहारे टिकें, अन्यथा स्वयं ही जी-जान से कार्य में जुट कर सफल होते हैं। क्रोध अधिक आने की प्रवृत्ति न हो तो सभी कठिनाइयों को बहुत आसानी से पार करते हुए चलते हैं। हृदय व मस्तिष्क रेखा समानान्तर, भाग्य रेखा गहरी व मस्तिष्क रेखा लम्बी होने की दशा में ऐसे व्यक्ति कंजूस होते हैं। बहुत ही आवश्यक होने पर खर्च करते हैं अन्यथा नकद में विश्वास रखते हैं। ऐसे व्यक्ति सम्पत्ति निर्माण में उसकी सुन्दरता पर ध्यान नहीं देते। यदि इनका मकान गिरने वाला हो या मरम्मत मांग रहा हो तो जब तक चलता है ऐसे ही काम चलाते हैं, न ही खर्च करते हैं और न ही सम्पत्ति बनाते हैं। हृदय व मस्तिष्क रेखा समान्तर होने पर, जीवन रेखा को छोटी रेखाएं काटती हों व भाग्य रेखा जीवन रेखा के पास हो तो ऐसे व्यक्ति कम बोलने वाले और अधिक काम करने वाले होते हैं। इनके हाथों में अपने वंश की प्रतिष्ठा सुरक्षित ही नहीं रहती वरन् उसमें चार चांद लगते हैं। हृदय व मस्तिष्क रेखा समानान्तर होने पर यदि हाथ में उत्तम विशेष भाग्य रेखा हो तो अपने वंश में सबसे अधिक उन्नति करते हैं। ऐसे व्यक्ति वह कार्य करते हैं जो इनके वंश में किसी ने भी नहीं किया होता। वास्तव में ये लीक छोड़ कर चलने वाले सपूत होते हैं। शुक्र प्रधान होने पर ऐसे व्यक्ति सौन्दर्य पिपासु होते हैं, यौन रुचि भी विशेष रूप से होती है, फलस्वरूप इस ओर ध्यान लगने पर दूसरी ओर का ख्याल नहीं रहता, अतः यह आदत जीवन में रुकावट बन कर खड़ी होती है क्योंकि ये पूर्णतया इसी के पीछे लग जाते हैं। ऐसे व्यक्ति अपना घर-बार, धन या प्रतिष्ठा सभी कुछ प्रेम में दांव पर लगा देते हैं। बुध की उंगली टेढ़ी, हाथ काला, भाग्य रेखा मोटी और हृदय व मस्तिष्क रेखा समानान्तर हो तो ऐसे व्यक्ति डाका डालना, लूटना आदि काम करते हैं। ये आरम्भ में दयालु होते हैं, साथियों पर विश्वास करने या ज्यादा बर्दाश्त करते- करते धीरे-धीरे कठोर हो जाते हैं। इस प्रकार के फल जीवन रेखा को अधिक रेखाएं काटने, उंगलियां लम्बी, मस्तिष्क रेखा का निकास जीवन रेखा से अलग तथा हृदय रेखा व मस्तिष्क रेखा का अन्तर अधिक होने पर व्यक्ति के जीवन में होते हैं। हृदय रेखा व मस्तिष्क रेखा समानान्तर होने पर अत्याचार सहन करते-करते घृणा हो जाती है और हाथ विशेष कठोर होने पर या अंगूठा कम खुलने की दशा में प्रेम और सौहार्द, घृणा में बदल जाते हैं। परिवार, मां-बाप, सम्बंधियों, भाइयों आदि से भी ऐसे व्यक्ति सम्बन्ध तोड़ 231 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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