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________________ पर हम इसे लम्बा मानते हैं। यह जोड़ उसी दशा में हानि कारक होता है, जबकि यह मोटा, द्वीपयुक्त या जर्जरित होता है, पतला, सुडौल, देखने में एक रेखा जैसा लगने वाला जोड़ विशेष हानिकर नहीं होता। इस दशा में जीवन या मस्तिष्क रेखा देर से आरम्भ हुई मानी जाती है (चित्र-162)। यह जोड़ हाथ में जिस आयु तक होता है, अच्छा नहीं माना जाता। कुछ भी करने के बावजूद व्यक्ति इस समय तक सफल नहीं होता और न ही उसे किसी कार्य में सन्तोष प्राप्त होता है, कोई न कोई समस्या उस आयु तक सामने खड़ी ही रहती 1. जीवन व मस्तिष्क रेखा का लम्बा जोड़ 2. सम्मिलित हृदय रेखा व मस्तिष्क रेखा 3. सम्मिलित भाग्य व जीवन रेखा 4. इच्छा, भाग्य या बृहस्पति रेखा 5. मत्स्य रेखा 6. शुक्र या स्मृति रेखाओं में द्वीप 7. कुत्ता काटने वाली रेखाएं 8. शनि की उंगली में जाने वाली भाग्य रेखा 9. अंगूठे के मूल से शुक्र रेखाएं 10. भाग्य रेखा में चन्द्रमा पर तिल 11. भाग्य रेखा व प्रभाव रेखा में द्वीप 12. मस्तिष्क रेखा व राहु रेखा से बना द्वीप 13. अन्तर्ज्ञान रेखा को काटती प्रभावित रेखाएं 14. भाग्य रेखा के आरम्भ में त्रिकोणात्मक द्वीप चित्र-162 15. मस्तिष्क रेखा में बुध के नीच त्रिकोण __ इस जोड़ का प्रमुख लक्षण व्यक्ति के कान में खराबी होना है। जिस हाथ में यह जोड़ होता है उससे दूसरी ओर कान में पीप आना, मैल आना, खुश्की रहना, कान का पर्दा खराब होना या इस प्रकार की कोई न कोई व्याधि पाई जाती है। इस लक्षण को देखकर दोष का निर्णय कर लेना चाहिए। ऐसे व्यक्ति बचपन से स्वस्थ नहीं रहते, पेट, जिगर, सर्दी-बुखार आदि रोग 89 वर्ष तक परेशान करते रहते हैं। ये आरम्भ में होशियार व बीच में पढ़ाई में लापरवाह होते हैं, मस्तिष्क रेखा अच्छी होने पर भी अध्ययन में किसी न किसी प्रकार की रुकावट अवश्य देखी जाती है। एक-दो वर्ष खराब करते हैं या पढ़ाई बीच में छूट कर फिर आरम्भ होती है। ऐसे व्यक्ति किसी भी काम को जमकर लम्बे समय तक नहीं कर सकते। स्वास्थ्य के कारण अधिक परिश्रम या अध्ययन नहीं कर सकने से भी पढ़ाई में रुकावट आती है। ऐसे विद्यार्थी दूसरे कार्यों में लगे रहते हैं, अपनी पुस्तकों को छोड़ कर अन्य 223 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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