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________________ का चिन्ह है। जीवन रेखा से मस्तिष्क रेखा अलग व उंगलियां लम्बी हों तो ऐसा लक्षण स्त्रियों के लिए घातक होता है। ऐसे व्यक्ति से जीवन साथी या प्रेमी का बिछोह सहन नहीं होता। प्रेम के मामले में ये बहुत कच्चे होते हैं, जीवन साथी से बिछुड़ने पर वैराग्य ले लेते हैं और स्त्रियां रो-रोकर जीवन का अन्त कर लेती हैं। ऐसी स्त्रियां थोड़ी-सी बात पर अधिक हंसती हैं और इसी प्रकार छोटी-सी बात पर चिन्ता अधिक भी करती हैं। ये सौन्दर्य पिपासु, गुण ग्राहक होती हैं अतः गुणवान । व्यक्तियों पर बलिहारी होना इनका स्वाभाविक गुण है । और ऐसे व्यक्ति प्रेम-पाश में बहुत शीघ्र बंधते हैं। भाव चित्र-159 या स्नेहातिरेक में ऐसी स्त्रियों को मर्यादा का ध्यान नहीं रहता फलस्वरूप बदनाम हो जाती हैं। यद्यपि इनका प्रेम वासना पूर्ति के लिए नहीं होता, परन्तु अपने प्रेमी या जीवन साथी की प्रसन्नता के लिए सभी कुछ सहन करती हैं क्योंकि इनमें समर्पण भाव अधिक होता है। ऐसी स्त्रियां परिणाम की परवाह किए बिना प्रेमी के साथ भागने में भी संकोच नहीं करती, फलस्वरूप बदनामी, लांछन या प्रताड़ना का भाजन बनती हैं। ऐसे हाथों. का रंग काला होता है। . ऐसे व्यक्तियों में तन्मयता होती है । यदि ईश्वर की ओर तन्मय हो तो सानिध्य प्राप्त हो जाता है, अर्थात् उच्च कोटि के सन्त हो जाते हैं और विरह साधना के द्वारा ही सफल होते हैं। असफल होने की दशा में आत्म हत्या करने तक को तैयार रहते हैं। टेढ़ी या झुकी हुई हृदय रेखा हृदय रेखा में झुकाव या टेढ़ापन व्यक्ति के पैरों में थकान, नींद अधिक आना, कमर दर्द व बड़ी आयु में कमर में झुकाव होने का लक्षण है। ऐसी स्त्रियों को प्रजनन समय में दोष होता है या अधिक सन्तान होने के कारण कमर झुक जाती है। हृदय रेखा गोलाकार होकर शनि के नीचे अधिक झुकी हो तो बड़ी आयु में व्यक्ति कुबड़ा हो जाता है। इस लक्षण से स्वयं को, पत्नी या माता को शारीरिक रोग रहता है। हृदय रेखा सूर्य की उंगली के नीचे गोलाकार होकर झुकी हो तो व्यक्ति अनेक बार विदेश यात्रा करते हैं। इस दोष के साथ मस्तिष्क रेखा व जीवन रेखा के अन्य 220 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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