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________________ बच्चे पैदा होने या प्रदर के कारण आंखें खराब होती हैं। दोनों हाथों में यह दोष हो तो वंशानुगत या जन्म से ही आंखों में रोग होते हैं। दोनों हाथों में बुध के नीचे द्वीप आदि चिन्ह होने पर व्यक्ति के परिवार में भी किसी न किसी को आंखों का रोग होता है। परिवार का अभिप्राय अपने तथा मामा के वंश से है। इन्हें बड़ी आयु में काले मोतिया का ऑपरेशन, अन्धा या काना होने की सम्भावना होती है। बुध के नीचे हृदय रेखा में द्वीप व शुक्र उन्नत हो तो प्रेम सम्बन्ध का लक्षण है। यदि इस द्वीप को बाहर से आकर कोई रेखा भी छूती हो तो निश्चय ही प्रेम सम्बन्ध होता है। हृदय रेखा में सूर्य के नीचे द्वीप यह द्वीप भी आंखों के दोषों को निश्चित करता है। शनि के पर्वत पर अधिक रेखाएं या मस्तिष्क रेखा में शनि के नीचे द्वीप होने पर अवश्य ही आंखों में दोष होता है। सूर्य के नीचे हृदय रेखा में द्वीप दूर की नजर के लिए अच्छा नहीं माना जाता ( चित्र - 143 ) । अतिशय - कामुकता; पित्त या जिगर दोषपूर्ण होने के कारण आंखों में खराबी पाई जाती है । इसी लक्षण से सिर में भारीपन भी रहता है। एक बात विशेष ध्यान रखने की है कि हृदय रेखा में दोष होने पर मस्तिष्क रेखा निर्दोष हो तो कुछ समय के लिए ही आंखों में दोष पैदा होते हैं। कालान्तर में आंखें ठीक हो जाती हैं। सूर्य के नीचे हृदय रेखा में दोष के साथ यदि मस्तिष्क रेखा में भी दोष हो तो सिर दर्द के कारण आंखें खराब होती हैं, जिससे काला मोतिया उतरने का डर रहता है। ऐसे व्यक्तियों को साइनस का रोग पाया जाता है। इन्हें नाक से दूध पीना, सूत्र- नेति करना, बादाम रोगन पीना लाभकर रहता है। ऐसे व्यक्तियों को पेट में खराबी, नजला-जुकाम आदि का उपचार यथा समय व यथा शक्ति कराना चाहिए। स्त्रियों में आंखों के दोष, प्रजनन के समय में कोई गड़बड़, अधिक रक्त स्राव, दौरे या सिर में चोट लगने से होता है। हाथ में अधिक दोष जैसे प्रत्येक रेखा में विशेष दोष, मस्तिष्क रेखा अधिक दोषपूर्ण या जीवन रेखा टूटी हो तो मस्तिष्क में रसौली या कैंसर होने के कारण आंखें खराब हो जाती हैं। हृदय रेखा टूट कर मस्तिष्क रेखा पर मिलने पर मस्तिष्क रेखा में सूर्य के नीचे दोष हो तो अधिक रोने के कारण आंखों Jain Education International 211 चित्र - 143 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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