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________________ हृदय रेखा जितनी ही उंगलियों की गांठों के नीचे होती है। व्यक्ति में उदारता, सौहार्द, बुद्धिमत्ता एवं मानव सुलभ गुणों का समावेश करती है और उंगलियों के पास होने पर इसके विपरीत गुण पाये जाते हैं। ऐसे व्यक्ति चरित्रहीन, कामुक व कामचोर प्रकृति के होते हैं। इन्हें यौन चिन्तन में आनन्द प्राप्त होता है। __उंगलियों के पास हृदय रेखा दोषपूर्ण भी हो। तो चरित्र दोष तो होता ही है, वायु विकार भी रहता है। छाती में दर्द, क्षयरोग, खून की कमी, जिगर की । खराबी और दांतों मे रोग देखे जाते हैं। ऐसे व्यक्ति -V की सन्तान भी वासनाप्रिय होती है। सन्तान को जिगर के रोग, निमोनिया व मियादी बुखार जीवन में कई बार होते हैं। इनकी सन्तान स्वभाव की तेज व माता-पिता के नियन्त्रण में रहने वाली नहीं होती। हृदय रेखा उंगलियों के पास होने पर व्यक्ति धोखे-बाज, व्याभिचारी, अविश्वसनीय और जुबान चित्र-140 के पक्के नहीं होते। इन्हें घर पर देर से पहुंचने की आदत होती है। उपरोक्त प्रकार की हृदय रेखा दोषपूर्ण होने के साथ जीवन रेखा में भी दोष हो तो ये पाबन्द तो होते ही नहीं, अनेक बार याद दिलाने पर काम करते हैं। बृहस्पति की उंगली छोटी होने पर ऐसे व्यक्ति इस प्रकार के कार्य भी करते हैं, जो सम्मान से गिरे हुए होते हैं। हृदय रेखा शनि पर या बृहस्पति व शनि की उंगली के बीच में जाने की दशा में सिद्धान्तहीन होते हैं, अपनी वासना पूर्ति उचित या अनुचित ढंग से करते हैं। - == हृदय रेखा में द्वीप हृदय रेखा में द्वीप एक दोष है। हृदय रेखा में द्वीप केवल उस विशेष समय को प्रभावित करता है। जिसमें आत्मविश्वास व निर्णय शक्ति की कमी, विचारों का हल्कापन, शरीर में रोग तथा अनेक प्रकार की मानसिक उथल-पुथल का संकेत है (चित्र-141)। हृदय रेखा का अधिक सम्बन्ध मनोवैज्ञानिक भावों से है। हाथ में उपस्थित दूसरे लक्षणों से समन्वय कर ऐसी बातों का निर्णय करना चाहिए जैसे हृदय रेखा में द्वीप व्यक्ति में निर्णय शक्ति एवं मानसिक दृढ़ता की कमी बताता है, यदि जीवन रेखा व मस्तिष्क रेखा का जोड़ लम्बा या शुक्र उठा हो तो इसकी मात्रा अधिक होती 209 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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