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________________ रहते हैं। इनकी विचारधारा में रहस्यवाद की गहरी छाप होती है। वे चाहे ग्रन्थ लिखें या उपदेश करें, काव्य लिखें, सभी पर दार्शनिक दृष्टिकोण या आत्मिक अन्वेषण का रंग चढ़ा होता है। ऐसे हाथ इंग्लैंड में प्रसिद्ध पादरियों और धार्मिक नेताओं के होते हैं और भारत में विचारवादियों और योगियों के होते हैं। ऐसे व्यक्ति गम्भीर होते हैं। वे कम बोलते हैं और उनकी चित्रवृति अन्तर्मुखी होती है। इनमें गौरव की भावना विशेष रूप से होती है और छोटी सी बात पर भी सोच-विचार कर बोलते हैं। धैर्य भी इनमें पर्याप्त मात्रा में होता है। यदि धार्मिकता की ओर अन्य लक्षणों से अधिक प्रवृत्ति मालूम हो तो ऐसे व्यक्तियों में प्रायः धर्मान्धता होती है। उंगलियों में गांठों का विकसित होना विचारक होने की प्रवृत्ति प्रकट करता है। प्रत्येक बात का विश्लेषण करना उनका स्वभाव होता है। उंगलियों के अग्रभाग चतुष्कोणाकृति या कुछ नुकीले होने से इनमें आत्मिक स्फुर्ति होती है। वर्गाकार उंगलियों के होने पर धैर्य तथा कुछ नुकीली उंगलियों के होने पर आत्म त्याग की भावना होती है। ऐसे व्यक्तियों के घर में लड़कियों का जन्म अधिक होता है। परन्तु यदि बृहस्पति बहुत अच्छा हो तो आरम्भ से ही लड़के रहते हैं अन्यथा, लड़कियां ही अधिक होती हैं। ऐसे हाथ में शुक्र, बृहस्पति और शनि ग्रह उठे होने के कारण पुत्र सन्तान कम होती है। जैसे 2,3 लड़कियां और एक लड़का। ऐसे व्यक्तियों को 8,10,12 तक सन्तानें हो सकती हैं। ऐसे व्यक्ति मुसीबत के समय नास्तिक हो जाते हैं, परन्तु इनकी रूचि स्वभावतः ही ईश्वर चिन्तन की ओर होती है। ऐसे व्यक्ति संकल्पः विकल्प युक्त होते हैं, परन्तु इनका कार्य करने का ढंग उतार-चढ़ाव से रहित होता है। आगे बढ़ने पर बढ़ते ही रहते हैं। ऐसे व्यक्ति धन का विशेष संचय नहीं कर पाते, न ही बिना सोचे-समझे कोई काम कर सकते हैं। इनकी परोपकार में रूचि रहती है। दान व धार्मिक कार्यो आदि में व्यय करते हैं। परन्तु जो भी करते हैं, रो-रोकर करते हैं और ऐसे कार्य भी विलम्ब से पूरे होते हैं। हाथ में दोष न होने पर ऐसे व्यक्ति लम्बी यात्राएं व व्यापार तथा समुद्री यात्राएं करते हैं। हाथ दोषपूर्ण होने पर ऐसा सम्भव नहीं हो पाता। ऐसे व्यक्ति सम्मान का बहुत ख्याल रखते हैं। ये साधु, लग्नशील, समाज सेवी व धार्मिक होते हैं। ऐसे व्यक्ति सफाई पसन्द, मिलनसार व प्राकृतिक सौन्दर्य के उपासक होते हैं। इनमें संघर्ष करने की हिम्मत होती है और संघर्ष के पश्चात् ही इन्हें जीवन में शान्ति मिलती है। संघर्ष में इनकी जीत भी होती है। 35, 40 और कभी-कभी 48 वर्ष तक संघर्ष करना पड़ता है। ये स्वाभाविक, सैद्धान्तिक और प्रेमी होते हैं। हाथ में दोष होने पर ऐसा समय आ जाता है कि इन्हें भूखा भी रहना पड़ता है, फिर भी 19 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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