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________________ से सम्पर्क रहता है। ऐसे व्यक्ति हस्तमैथुन करते हैं। इनके भाई, बहन, बहनोई आदि का चरित्र भी शंकापूर्ण होता है। ऐसे व्यक्तियों की ससुराल का परिवार बड़ा होता == भाग्य रेखा के आरम्भ में द्वीप = भाग्य रेखा के आरम्भ में द्वीप छोटा, बड़ा कैसा भी होने पर बचपन में ऐसे व्यक्ति के परिवार का कोई न कोई उत्तरदायी व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त होता है और इनके पैदा होने के पश्चात् घर की स्थिति संकटपूर्ण हो जाती है (चित्र-122)। __दोनों हाथों में भाग्य रेखा का निकास द्वीप से हो और मस्तिष्क रेखा के ठीक आरम्भ में द्वीप हो तो ऐसे व्यक्ति दूसरों से पैदा होते हैं। इनका पिता वह नहीं होता जिससे इनकी माता विवाह करती हैं। यह परजात योग है। एक को छोड़कर अन्य के साथ विवाह करने वाली तथा चरित्रहीन स्त्रियों के हाथों में भी यही चिन्ह होते हैं। यह द्वीप अन्य रेखाओं से मिलकर बना हुआ होता है। यह गोल या किसी भी प्रकार का हो सकता है। इस प्रकार के द्वीप से पत्नी या पति के चरित्र में दोष पाया जाता है। विवाह सम्बन्ध भी मधुर नहीं रहते। जिस आयु तक यह द्वीप रहता है, काम में परेशानी, विवाह में रुकावट, विवाह होने पर जीवन साथी के स्वास्थ्य में दोष रहता है। यह भाग्य रेखा का एक मुख्य दोष है, अत: दोषपूर्ण भाग्य रेखा के सभी फल यहां लागू होते हैं। इसका कुछ न कुछ प्रभाव जीवन भर रहता है। यदि इस द्वीप को कोई रेखा काटती हो तो उस आयु में रोटी के लाले पड़ जाते हैं। स्थान परिवर्तन, हानि, किसी की मृत्यु या ऑपरेशन आदि की घटनाएं होती हैं। यह समय जीवन में सबसे अधिक कष्ट-कारक होता है। जीवन रेखा व मस्तिष्क रेखा निर्दोष होने पर सब समस्याएं हल हो जाती हैं और द्वीप का दोषपूर्ण फल कम हो जाता है। ऐसे व्यक्ति अन्तिम जीवन में रोगी रहते हैं। भाग्य रेखा के आरम्भ में बड़ा द्वीप : चित्र-122 भाग्य रेखा के आरम्भ में द्वीप के विषय में पहले भी लिखा जा चुका है, 191 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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