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________________ योग्यता से ही उन्नति करते हैं तथा इन्हें किसी की सहायता की कभी आवश्यकता नहीं पड़ती तो भी दूसरे व्यक्ति अनायास ही इनकी सहायता करते हैं। ये कुल-दीपक होते हैं। ऐसे व्यक्ति स्वयं तो महान होते हैं। इनके मित्र या सम्बन्धी सभी धनी, प्रभावशाली, आनन्द से रहने वाले एवं प्रतिष्ठित होते हैं। यह भाग्य रेखा एक विशेष प्रकार की भाग्य रेखा होती है जो बहुत ही कम हाथों में पाई जाती है। उन्नति की दृष्टि से इनके गुणों का बखान नहीं किया जा सकता, हाथ की उत्तमता के अनुसार ऐसे व्यक्ति अतुलनीय उन्नति कर सकेंगे, ऐसा कहना चाहिए। भाग्य रेखा का मस्तिष्क रेखा से निकलना कई बार भाग्य रेखा, मस्तिष्क रेखा से उदय होकर शनि की ओर जाती है। देखा जाता है कि ऐसे हाथों में जीवन रेखा या अन्य स्थान से उदित होने वाली भाग्य रेखा भी होती है। चमसाकार, समकोण, आदर्शवादी हाथों में तो भाग्य रेखा की आवश्यकता ही नहीं होती, ऐसे हाथ भाग्य रेखा के न होने पर भी उसी प्रकार फल देते हैं (चित्र-104)। ___हाथ में मुख्य भाग्य रेखा न होने पर केवल मस्तिष्क रेखा से ही भाग्य रेखा का उदय ह्ये तो यह बहुत ही महत्व की हो जाती है। यदि हाथ व अन्य चित्र-104 लक्षण ठीक हो तो पहले की भांति सुचारू रूप से चलता रहता है, परन्तु विशेष उन्नति इस भाग्य रेखा के निकलने की आयु से ही करते हैं। इसका फल 35 वर्ष के पश्चात् व उस आयु से होता है, जिसमें यह रेखा मस्तिष्क रेखा से निकलती है। ____ हाथ में यह उत्तम लक्षण माना जाता है। ऐसे व्यक्ति अपने ही मस्तिष्क और अपने ही ढंग से कार्य करके धन व प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं। हाथ में दूसरे लक्षण भी ठीक हों तो बहुत ही योग्य और प्रगतिशील सिद्ध होते हैं तथा विलक्षण व मिलनसार होते हैं। जिस -- आयु में मस्तिष्क रेखा से यह रेखा निकलती है, उस चित्र-105 178 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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