SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 17
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आदत के कारण इनका विरोध नहीं होता और इनके सम्पर्क में आने वाले सभी व्यक्ति इनसे प्रसन्न रहते हैं। चमसाकार हाथ चमसाकार हाथ चमचे के समान होते हैं। इनकी उंगलियां भी आगे से चमचे के आकार की अर्थात् चौड़ी होती हैं। इन हाथों की उंगलियों के बीच में छिद्र पाये जाते हैं। कभी-कभी ऐसे हाथ कलाई की ओर से तथा कभी उंगलियों के पास से अधिक चौड़े देखे जाते हैं। इनमें उंगलियां विशेष टेडी-मेडी नहीं होती। विशेष टेडीमेडी उंगलियां हाथ की उत्तमता बढ़ाती हैं। इनमें मंगल व बृहस्पति प्रधान होते हैं। शनि ऊपर से बैठा हुआ तथा नीचे से नुकीला होता है। बुध की उंगली टेढ़ी होती है। हाथ न बडा, न छोटा और समकोण हाथ से मिलता-जुलता होता है। इन हाथों की जीवन रेखा में कोई न कोई दोष अवश्य होता है। हाथ भारी होने पर भी उंगलियों में छिद्र होते हैं। इन व्यक्तियों के कन्धे पर प्रायः तिल पाया जाता है। हाथ में हृदय रेखा की कोई न कोई शाखा मस्तिष्क रेखा से अवश्य मिलती है। इस लक्षण के अनुसार भी भुजाओं पर तिल होता है, भुजाओं से तात्पर्य कन्धे के आस-पास से है। चमसाकार हाथ में भाग्य रेखा जीवन रेखा से निकलती है। यदि भाग्य रेखा, जीवन रेखा से अलग निकली हुई हो तो किसी न किसी रेखा के द्वारा इसका सम्बन्ध जीवन रेखा से अवश्य देखा जाता है। इनके गले में भी बायीं ओर तिल होता है। इन हाथों में अन्तर्ज्ञान रेखा, सूर्य रेखा, मंगल रेखा व अन्य भाग्य रेखाएं बाद में पैदा होती हैं। पहले रेखाएं बहुत कम होती हैं और जीवन बनने के साथ-साथ ही रेखाएं भी बनती हैं और अन्तिम समय में प्रायः सभी रेखाएं उपस्थित रहती हैं। जिन लोगों के हाथ चमसाकार होते है, वे क्रांतिकारी, जल्दबाज व गरम स्वभाव के पाये जाते हैं। दबाव में रहना इनके वश में नहीं। ये पूर्णतया स्वनिर्मित होते हैं और सभी कार्य अपने पैरों पर खड़े होकर करना पसन्द करते हैं। ऐसे व्यक्ति दूसरों पर आश्रित नहीं रहते। प्रारम्भ में सम्भव है कि ये दूसरों से सहायता लें, परन्तु अन्त में स्वयं अपने पुरूषार्थ व प्रभाव से जीवन बनाते हैं। आरम्भ में इनका प्रभाव दूसरों पर कम पड़ता है, परन्तु जैसे-जैसे आयु बढ़ती जाती है, प्रभावशाली होते जाते हैं। बचपन में इन्हें रोने की आदत अधिक होती है, क्योंकि ये भावुक होते हैं। इनके जीवन में परिवर्तन अधिक होते हैं। जीवन में उतार-चढ़ाव चलता ही रहता है और पूर्वायु में संघर्षमय जीवन व्यतीत होता है। ऐसे व्यक्तियों को पारिवारिक शान्ति कम मिलती है तथा सहायता का तो किसी भी प्रकार से प्रश्न नहीं उठता। इनका अपने परिवार के व्यक्तियों से सैद्धान्तिक मतभेद रहता है। ऐसे व्यक्ति सबसे पहले अपने घर में H. K. S-1 16 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy