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________________ बातें सोचते हैं। किसी भी बात को बड़ी गहराई से जानते हैं या विस्तारपूर्वक वर्णन करते हैं। === छोटी मस्तिष्क रेखा। मस्तिष्क रेखा की आदर्श लम्बाई बुध व सूर्य की उंगली के मध्य तक होती है। इससे छोटी होने पर मस्तिष्क रेखा छोटी कहलाती है, परन्तु शनि व सूर्य की उंगली के मध्य या इसके आसपास तक जाने वाली मस्तिष्क रेखा छोटी ही मानी जाती है। यह एक प्रकार का दोष है और जीवन में कमियों का लक्षण है (चित्र-77) छोटी मस्तिष्क रेखा में दोष भी हो तो गजब हो जाता है। यह दोष व्यक्ति को चारित्रिक पतन की ओर ले जाता है। चरित्र के विषय में इनका कोई ईमान, धर्म नहीं होता। ये गन्दी कल्पना करने वाले, अधिक सोचने वाले, मूर्ख और जिद्दी होते हैं। थोड़ी बात को अधिक मानते हैं और प्रपंच करते हैं। प्रायः इनमें कोई न कोई खराब कुटेंव रहती है, फलस्वरूप धन की कमी भी ऐसे व्यक्ति महसूस करते हैं। ये व्यक्ति शीघ्र ही घबराते हैं। यदि मस्तिष्क रेखा अधिक छोटी तथा मुड़ी हुई सी हो तो ये डरपोक भी होते हैं और जरा से धड़ाके या शोर से घबराहट के कारण इनका दिल धड़कने चित्र-77 लगता है। स्त्रियों के हाथ में मस्तिष्क रेखा छोटी हो तो जल्दबाज, सोचकर काम न करने वाली व शीघ्र प्रभाव में आने वाली होती हैं, यदि हृदय रेखा की छोटी-छोटी शाखाएं मस्तिष्क रेखा की ओर आती हों तो भावुकता की हद हो जाती है। ऐसी स्त्रियों को यदि इन्हें किसी पर-पुरुष से प्रेम है तो प्रेम के वशीभूत होकर घर, पति व बच्चों को छोड़कर प्रेमी के साथ भाग जाती हैं। मस्तिष्क रेखा छोटी होने की दशा में हृदय रेखा के समानान्तर व भाग्य रेखा चन्द्रमा से निकली हो तो ऐसे व्यक्ति अव्वल दर्जे के कामुक होते हैं। हृदय रेखा उंगलियों के पास होने पर किसी न किसी व्यक्ति से इनके सर्वविदित अनैतिक सम्बन्ध रहते हैं। ऐसे व्यक्ति अप्राकृतिक रूप से वासनापूर्ति करते हैं, फलस्वरूप इनका पेट खराब हो जाता है। 156 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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