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________________ छूकर निकली हुई मस्तिष्क रेखा बुध या सूर्य की ओर जाती हो और जीवन रेखा भी गोलाकार हो तो ऐसे व्यक्ति लेखन अथवा सम्पर्क स्थापित करने में चमत्कारिक सफलता प्राप्त करते हैं। मस्तिष्क रेखा का निकास (जीवन रेखा से अलग) = इस प्रकार की मस्तिष्क रेखा बृहस्पति पर्वत के नीचे, जीवन रेखा से अलग होकर आरम्भ होती है। इस की दूरी अधिक से अधिक 1/4 इन्च या 1/6 इन्च होती है। इससे अधिक दूर निकली हुई मस्तिष्क रेखा का फल अच्छा नहीं होता। यह जितनी नजदीक से निकली होती है और जीवन रेखा से अलग होती है तो अच्छी मानी जाती है। यदि ऐसी मस्तिष्क रेखा, चतुष्कोण या किसी रेखा से बिना जुड़ी हो तो अति उत्तम होती है (चित्र-66) जीवन रेखा से बृहस्पति पर जाने वाली शाखा के द्वारा अथवा जीवन रेखा से निकली भाग्य रेखा के द्वारा जुड़ी होने पर दोषपूर्ण नहीं मानी जाती। ऐसी मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा के निकास के पास से ही निकलती हो तो यह अतुलनीय होती है, परन्तु ऐसा कम ही देखा जाता है। ये व्यक्ति स्वतन्त्र विचारों के, बुद्धिमान, शीघ्र विश्वास करने वाले व आरम्भ में शीघ्र घबराने वाले होते हैं। मध्यायु के पश्चात् घबराने का दोष इनमें नहीं रहता। इस लक्षण के साथ उंगलियों की लम्बाई भी अधिक हो तो विश्वास चित्र-66 की मात्रा बढ़ जाती है, जोकि भाग्योदय में रुकावट बन कर सामने आती है। यदि भाग्य रेखा, मस्तिष्क रेखा पर रुकी हो तो ऐसे व्यक्ति कई बार धोखा खाते हैं। ये शर्माल, अधिक एहसान मानने व लिहाज करने वाले होतेर और स्पष्ट रूप से किसी बात को नहीं कहते। किसी को उधार देकर मांगते नहीं, जिन पर विश्वास करते हैं, उसे परिवार का सदस्य मान लेते हैं। अत: ये जब भी दूसरे व्यक्ति पर निर्भर करते हैं, हानि उठाते हैं। ऐसे व्यक्तियों को 35 वर्ष की आयु तक साझे में व्यापार नहीं करना चाहिए और यदि परिस्थितिवश करना भी पड़े तो दूसरे साझियों के साथ सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए अन्यथा लाभ के बदले हानि ही हाथ लगेगी। ऐसे हाथों 144 H.K.S-9 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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