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________________ सम्मिलित या उलझी हुई नहीं होनी चाहिए। अधिक दूरी की परिभाषा हम लगभग डेढ़ इंच में करते हैं। डेढ़ इंच जुड़ी होने पर मस्तिष्क रेखा जीवन से अलग होती हो तो इसका फल दोषपूर्ण होता है, जबकि जीवन रेखा से मस्तिष्क रेखा का बिना अधिक जोड़ के निकास गुणकारी है। इस प्रकार की मस्तिष्क रेखा केवल छूकर जीवन रेखा से निकलती है। (चित्र-65)। ऐसे व्यक्ति समझदार, प्रत्येक कार्य को सोच-समझकर करने वाले, जिम्मेदार तथा क्रियात्मक होते हैं और शीघ्र निर्णय लेते हैं। उपरोक्त लक्षण अधिक रेखा वाले हाथों में हो तो विचार करने व उसे क्रियान्वित करने में कुछ समय अवश्य लगाते हैं, परन्तु क्रियात्मक हाथ में सदैव ही शीघ्र निर्णय कर लिए जाते हैं। अधिक रेखा वाले व्यक्ति भी एक से अधिक भाग्य रेखा, अगूंठा व उंगलियां पतली व छोटी, दोनों और द्विजिव्हाकार मस्तिष्क रेखा होने पर शीघ्र व ठीक निर्णय लेने वाले होते हैं। ये स्वतन्त्र निर्णय लेने वाले व उत्तरदायित्व निभाने वाले होते हैं। फलस्वरूप ऐसे व्यक्ति जीवन चित्र-65 में प्रगति करते हैं। स्त्रियों के हाथ में यह लक्षण होने पर तथा हाथ भी कोमल हो तो प्रत्येक दूसरे वर्ष में सन्तान हो जाती है। जीवन और मस्तिष्क रेखा दोष रहित हो तो पति-पत्नी का आपस में बहुत प्रेम रहता है, हृदय रेखा भी निर्दोष या दोहरी हो तो साथी के जरा भी रुखा बोलने पर इन्हें बहुत दु:ख होता है। अन्त तक इनके सम्बन्ध मधुर बने रहते हैं और जीवन सुखी रहता है। एक दूसरे का विछोह इन्हें किसी भी मूल्य पर सहन नहीं होता। इस प्रकार से छूकर निकलने वाली मस्तिष्क रेखा सीधी मंगल की ओर जाती हो, तथा जीवन रेखा गोलाकार व भाग्य रेखा पतली हो या हाथ भारी हो तो व्यक्ति अतुल सम्पत्ति पैदा करता है और अपने वंश में नए साधनों के द्वारा ऐश्वर्य और प्रतिभा उत्पन्न करता है। ऐसी मस्तिष्क रेखा जो चन्द्रमा की ओर जाए एवं जीवन रेखा गोलाकार हो, हाथ चौड़ा, भारी हो, छोटा व सुन्दर हो तो ऐसे व्यक्ति अत्यन्त व्यवहार कुशल होते हैं। इनके धन व सम्मान में वृद्धि होती रहती है। अभिवृद्धि को प्राप्त होते हैं। ऐसे व्यक्ति महामानव होते हैं, हृदय रेखा सुन्दर होकर शनि के नीचे पूर्ण होती हो अथवा बृहस्पति को छूती हो तो देवतुल्य सम्मान प्राप्त करते हैं व बहुचर्चित होते हैं। केवल 143 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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