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________________ चित्र-60 के ही निजी आत्मबल से उन्नति करते हैं। यदि अन्य रेखा में कोई दोष न हो तो निरन्तर उन्नति करते जाते हैं। अन्य रेखाओं के दोष को भी निर्दोष मस्तिष्क रेखा कम कर देती है। कितना भी दोष होने पर ऐसे व्यक्ति जीवन-यापन आसानी से करते रहते हैं। ऐसे व्यक्ति पढ़ने में होशियार होते हैं, समय खराब नहीं करते। यदि जीवन रेखा गोलाकार भी हो तो अध्ययन का समय बहुत ही सुन्दर बीतता है। छात्रवृत्ति या परीक्षा में असाधारण स्थान प्राप्त करते हैं। शुक्र उठा हो या भाग्य रेखा मोटी होने पर बुद्धिमान । तो होते ही हैं, परन्तु लापरवाही या अन्य व्यसनों में फंसने से शिक्षा की ओर ध्यान नहीं देते। भाग्य रेखा, जीवन रेखा के पास या मोटी होने पर आर्थिक स्थिति खराब होने से अध्ययन में विध्न अवश्य पड़ता है। उत्तम मस्तिष्क रेखा के साथ जीवन रेखा में कोई दोष हो तो स्वयं के बच्चों की शिक्षा में रुकावट होती हैं, वर्ष खराब करते हैं, विषय बदलते हैं या जो विषय वह पढ़ना चाहते हैं, वह इनको नहीं मिल पाता। गहरी या टूटी भाग्य रेखा भी शिक्षा में रुकावट का लक्षण है। ऐसे व्यक्ति आत्मविश्वासी होते हैं। ये व्यापार आदि में किसी प्रकार का जोखिम नहीं उठाते। बहुत सोचकर, हानि-लाभ को देखकर ही किसी काम को आरम्भ करते हैं। ऐसे व्यक्ति जिस एक स्थान पर बैठ जाते हैं, सोच विचार कर कार्य कर लेते हैं, शीघ्र नहीं बदलते। विशेष उत्तम मस्तिष्क रेखा होने पर व्यक्ति कठोर, घमण्डी, स्वार्थी, अभिमानी, अविश्वास करने वाले, चालाक तथा शक्की होते हैं। अत: बहुत अच्छी मस्तिष्क रेखा दोषपूर्ण हाथ में यदि हाथ भी उसी के अनुसार उत्तम नहीं है तो दोष माना जाता है। उत्तम मस्तिष्क रेखा वाले व्यक्ति प्रेम विवाह कभी नहीं करते। ये प्रेम करते हैं, परन्तु अपनी प्रेमिका को सन्देह की दृष्टि से देखते हैं। अतः ऐसे कम ही व्यक्ति प्रेम विवाह करते देखे गये हैं। इनको ससुराल अच्छी तथा पत्नी सुन्दर मिलती है। पत्नी बहुत संवेदनशील व बुद्धिमान होती है तथा विवाह भी इनकी सहमति से ही होता है। मस्तिष्क रेखा उत्तम होने पर यदि जीवन रेखा में दोष हो तो कई कार्य बदलने पड़ते हैं। मस्तिष्क रेखा उत्तम, जीवन रेखा टूटी, अधूरी, सीधी, शुक्र को काटती और 136 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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